शनिवार, 20 दिसंबर 2014

ज़िंदगी बादे फना तुझको मिलेगी हसरत, तेरा जीना तेरे मरने की बदौलत होगा

फैजाबाद/अयोध्या. पिछले कई सालों से अयोध्या फिल्म सोसाइटी द्वारा आयोजित फिल्म फेस्टिवल का समापन हो गया. गौरतलब है कि अवध की गंगा-जमुनी तहजीब को समर्पित इस फेस्टिवल में सिनेमा के माध्यम से समाज और राजनीतिक चेतना से जुड़े मुद्दों पर बहस की जाती है. बता दें कि फेस्टिवल 'अवाम कासिनेमा' का उद्घाटन प्रेस क्लब 
फैजाबाद में किया गया. इस दौरान काकोरी के क्रांतिवीर की जेल डायरी और दुर्लभ दस्तावेज़ो की प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया. इस अनोखी प्रदर्शनी का उद्घाटन फ़िल्मकार-लेखिका मधुलिका सिंह के हाथों हुआ. फैजाबाद/अयोध्या. पिछले कई सालों से अयोध्या फिल्म सोसाइटी द्वारा आयोजित फिल्म फेस्टिवल का समापन हो गया. गौरतलब है कि अवध की गंगा-जमानी तहजीब को समर्पित इस फेस्टिवल में सिनेमा के माध्यम से समाज और राजनीतिक चेतना से जुड़े मुद्दों पर बहस की जाती है. बता दें कि फेस्टिवल 'अवाम का सिनेमा' का उद्घाटन प्रेस क्लब फैजाबाद में किया गया. इस दौरान काकोरी के क्रांतिवीर की जेल डायरी और दुर्लभ दस्तावेज़ो की प्रदर्शनी का भी आयोजन
किया गया. इस अनोखी प्रदर्शनी का उद्घाटन फ़िल्मकार-लेखिका मधुलिका सिंह के हाथों हुआ.

शुक्रवार, 19 दिसंबर 2014

पेशेवर और व्यावसायिकता के बीच भारतीय पत्रकारिता

(मनोरमा ईयर बुक हिंदी के लिए श्री राजेश कालिया की प्रेरणा से लिखा गया और 2014 के अंक में प्रकाशित)

उमेश चतुर्वेदी
भारतीय पत्रकारिता इन दिनों दो विपरीत विचारधाराओं की रस्साकशी के बीच झूल रही है..तकनीकी बदलाव, बढ़ते आर्थिक दबाव और नैतिक मूल्यों में आ रही गिरावट के बीच मीडिया का लगातार विस्तार हो रहा है। इस विस्तार की गवाही भारत के समाचार पत्रों के महापंजीयक के आंकड़े भी देते हैं। जिनके मुताबिक 31 मार्च 2013 तक देश में 94067 समाचार पत्र और पत्रिकाएं पंजीकृत थीं। भारत में मीडिया की पहुंच और अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसमें समाचार पत्रों की संख्या जहां 12511 रही, वहीं साप्ताहिकों और पत्रिकाओं की संख्या 81556 रही। दुनिया के विकसित देशों में जब प्रिंट मीडिया की मौत के युग के खात्म की घोषणा की जा रही है, वहीं भारत में प्रिंट मीडिया में लगातार विकास हो रहा है। इसकी गवाही 2011-12 के दौरान पंजीकृत पत्रों की संख्या देती है, जो 7337 रही। समाचार पत्र और पत्रिकाएं पंजीकृत हुईं। ये तो रही प्रिंट मीडिया की बात..इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में भी लगातार विकास हो रहा है। 2012 में जारी ट्राई के आंकड़ों के मुताबिक देश में निजी सेक्टर के करीब 245 एफएम चैनल लगातार प्रसारण कर रहे हैं। इसके अलावा भारत में आकाशवाणी के 413 चैनल काम कर रहे हैं। इसके साथ ही दूरदर्शन के 46 स्टूडियो और करीब 1400 केंद्र लगातार काम कर रहे है। इसके अलावा निजी क्षेत्र के करीब 800 खबरिया चैनल तमाम भाषाओं में लगातार चौबीसों घंटे लगातार प्रसारण कर रहे हैं। इसमें जून 2014 में आए टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के इंटरनेट से जुड़े आंकड़ों को जोड़े बिना भारतीय मीडिया की मुकम्मल तस्वीर पेश नहीं की जा सकती। इस आंकड़े के मुताबिक देश में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 24 करोड़ 30 लाख हो गई है।
आंकड़ों में विकास और विस्तार की यह तसवीर तो सरसरी तौर पर यही साबित करती है कि भारतीय मीडिया सुनहले दौर से गुजर रहा है। लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट है। भारतीय मीडिया इन दिनों पेशवराना अंदाज, नैतिकता की समस्या और साख के संकट से कहीं ज्यादा गुजर रहा है।

गुरुवार, 9 अक्टूबर 2014

चीन रेडियो पर

चीन रेडियो इंटरनेशन के दक्षिण एशिया फोकस कार्यक्रम में शुक्रवार 03 अक्टूबर 2014 को प्रसारित अपने विचार...चीन रेडियोे के यशस्वी एंकर पंकज श्रीवास्तव जी ने इस इंटरव्यू को किया ...इसका लिंक आप सुधी जनों के लिए भी है..आपकी प्रतिक्रियाएं मेरा उत्साह बढ़ाएंगी

http://hindi.cri.cn/1321/2014/10/09/1s162514.htm

मंगलवार, 7 अक्टूबर 2014

नदी संरक्षण के लिए दिल्ली में होगा मीडिया जुटान

“नद्द: रक्षति रक्षितः” विषय के साथ इस बार का आयोजन दिल्ली में भारतीय जनसंचार संस्थान संस्थान (आईआईएमसी) के सभागार में 11 और 12 अक्टूबर को होगा। है। इसमें देशभर के मीडिया, नदी और जल से जुड़े संगठनों के 250 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।
जन सरोकार से जुड़े तमाम मुद्दों पर जागरूकता के लिए प्रयासरत संस्था स्पंदन और मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् द्वारा संयुक्त रूप से यह आयोजन किया जा रहा है. मीडिया चौपाल का आयोजन गत तीन वर्षों से किया जा रहा है. पिछ्ला दो आयोजन भोपाल में हुआ था. इसमें देश भर के प्रमुख जन संचारक हिस्सा लेते रहे हैं. पिछले आयोजनों विकास और विज्ञान मुख्य विषय था. इस वर्ष चौपाल का मुख्य विषय नदी संरक्षण है. गौरतलब है कि इस बार के चौपाल में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, विज्ञान भारती, भारतीय जनसंचार संस्थान, जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र, इंडिया वाटर पोर्टल और भारतीय विज्ञान लेखक संघ का भी सहयोग मिल रहा है.
11-12 अक्टूबर को मीडिया चौपाल में जुटेंगे देश भर से जन-संचारक
इस चौपाल में विचारक के एन गोविन्दाचार्य, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश प्रभु, सांसद और पत्रकार प्रभात झा, राज्यसभा सांसद और नर्मदा समग्र के अध्यक्ष अनिल माधव दवे, वरिष्ठ पत्रकार जवाहरलाल कॉल, जल विशेषज्ञ अनुपम मिश्र, विज्ञान संचारक डा. मनोज पटेरिया, विज्ञान भारती के संगठक जयकुमार, मध्यप्रदेश सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार डा. प्रमोद कुमार वर्मा, बाढ़ के विशेषज्ञ दिनेश मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय, जयदीप कर्णिक, रामेन्द्र सिन्हा, हितेश शंकर, के. जी. सुरेश, पर्यावरण स्तंभकार देवेन्द्र शर्मा, पंकज चतुर्वेदी, भाषाविद हेमंत जोशी, प्रमोद दूबे सहित देशभर के लगभग 250 से अधिक संचारक और जल के जानकार जुट रहे हैं. ये सभी संचारक और विषय विशेषज्ञ लोकहित में प्रभावी और उद्देश्य आधारित संचार के लिए रणनीतिक ज्ञान भी साझा करेंगे. इस मौके पर स्वतंत्र रूप से कार्यरत वेब और अन्य संचारकों की समस्याओं पर भी विमर्श होगा. बेहतर संचार के तरीके भी ढूंढें जाएंगे. 

शनिवार, 13 सितंबर 2014

इंसानियत की तरफ बढ़े हाथ



उमेश चतुर्वेदी
(नवभारत टाइम्स में प्रकाशित)
तपती गरमी के बीच बारिश की फुहारें जिंदगी में जैसे नई लहर लेकर आती हैं..जीने और नए तरीके से सोचने की लहर..इस लहर को बार-बार महसूस किया है...लहजा बदल सकता है..हरफ बदल सकते हैं..लेकिन बारिश के साथ जिंदगी का यह अनुभव हर शख्स को होता ही है..लेकिन यह बारिश भी जिंदगी में एक नए तरह का अनुभव करा जाएगी..ऐसा कभी सोचा भी नहीं था..नियति में तमाम भरोसे के बावजूद इस अनुभव को संजोग ही कह सकते हैं..दफ्तरी भागमभाग और जुतम-जुताई के बाद थकान उतारने का अपना एक ही जरिया है गप्पबाजी..कभी वह कोरी होती है तो कभी उसमें बौद्धिकता का छौंका भी लग जाता है..जुलाई के आखिरी हफ्ते के उस दिन दफ्तर से निजात के बाद खुद को सहज करने के लिए उस दिन भी एक अड्डे पर जाने का विचार था..लेकिन अचानक आई बारिश ने इरादा बदलने को बाध्य कर दिया..

बुधवार, 3 सितंबर 2014

तीसरे प्रेस आयोग के गठन का कोई प्रस्ताव नही- केंद्र सरकार


केंद्र सरकार ने तीसरे प्रेस आयोग बनने की संभावनाओं को ख़ारिज कर दिया है। सूचना के अधिकार के तहत मांगे गए एक आवेदन के जबाब में सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के अवर सचिव सह केन्द्रीय जन सूचना पदाधिकारी शैलेश गौतम ने यह जानकारी आवेदक सूचना अधिकार कार्यकर्त्ता अभिषेक रंजन को दी है। जबाब में सरकार की ओर से बताया गया है कि तीसरे प्रेस आयोग के गठन संबंधी कोई प्रस्ताव सरकार के अधीन विचाराधीन नही है।

मंगलवार, 2 सितंबर 2014

इन्क्लूसिव मीडिया – यूएनडीपी फैलोशिप 2014

इन्क्लूसिव मीडिया- यूएनडीपी फैलोशिप 2014 के लिए हिन्दी और अंग्रेजी मीडिया से जुड़े ओड़िशा, झारखंड, असम और पंजाब के कुल छह पत्रकारों का चयन हुआ है। चयनित फैलो अपनी रोजमर्रा की पत्रकारिता से समय निकालकर देश के ग्रामीण और वंचित समुदायों के बीच समय बिताएंगे ताकि समाज के इस हिस्से की चिन्ता और सरोकारों को व्यापक कवरेज मिल सके और उसपर लोगों का ध्यान जा सके। फैलोशिप के अन्तर्गत चयनित प्रत्येक अभ्यर्थी को समाचारों को एकत्र करने और इस क्रम में हुए खर्चे की भरपाई के लिए अधिकतम 150,000 की राशि प्रदान की जाएगी
फैलोशिप के लिए अभ्यर्थियों का चयन प्रसिद्ध पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता श्री विनीत नारायण, विकासपरक मुद्दों के विशेषज्ञ तथा विकासशील समाज अध्ययन पीठ(सीएसडीएस) के वरिष्ठ फैलो प्रोफेसर पीटर डीसूजा, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑव मैनेजमेंट, अहमदाबाद(आईआईएम-ए) के पूर्व डीन प्रो. जगदीप छोकर, यूएन कोऑर्डिनेशन एडवाइजर सुश्री राधिका कौल बत्रा तथा आईआईटी दिल्ली की अर्थशास्त्री(विकास) सुश्री रीतिका खेड़ा ने किया।
चयनित अभ्यर्थियों के नाम और उनके परियोजना प्रस्ताव का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है :
1.    सुश्री शारदा लहंगीर, एएनआई/ विमेन्स फीचर सर्विस (ओडिशा के छह जनजातीय जिलों में वनाधिकार के क्रियान्वयन और आजीविका के लिहाज से आदिवासी समुदाय पर प्रभाव का अध्ययन)
2.    रजनीश आनंद, प्रभात खबर, रांची ( झारखंड के चाईबासा और सिंहभूम जिले में माहवारी से संबंधित व्याप्त भ्रांतियों और इससे संबंधित स्वास्थ्गत साफ-सफाई की समस्या पर केंद्रित अध्ययन)
3.    आलोका कुजूर, स्वतंत्र पत्रकार, अपनी रांची ( झारखंड के बिरहोर समुदाय की महिलाओं और बच्चों के संदर्भ में खाद्य-सुरक्षा, जमीन और जीविका के मुद्दे पर केंद्रित अध्ययन)
4.    जसिन्ता केरकेट्टा, स्वतंत्र पत्रकार, खबरमंत्र (झारखंड के पाँच जिलों में पहाड़िया समुदाय की रोजगार और सांस्कृतिक दशा का अध्ययन)
5.    संजीव वर्मा, हिन्दुस्तान टाइम्स, चंडीगढ़ (महिलाओं की स्थिति के लिहाज से पंजाब के पाँच जिलों में मादक द्रव्यों का प्रभाव, इससे संबंधित कानून-व्यवस्था और स्वास्थ्य-सुविधाओं की स्थिति का अध्ययन)
6.    संजय रे, द असम ट्रब्यून, गुवाहाटी (असम के दूर-दराज के इलाकों के चाय-बगानों के बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चियों की स्थिति के आकलन पर केंद्रित अध्ययन) 
इन्क्लूसिव मीडिया फॉर चेंज(www.im4change.org) समाज के वंचित वर्गों से संबंधित विचारों, सूचनाओं और विकल्पों का एक भंडारघर चलाता है, साथ ही इस परियोजना के अन्तर्गत शोध-कार्य और मीडिया कैप्सिटी बिल्डिंग की कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं। परियोजना विकासशील समाज अध्ययन पीठ, राजपुर रोड, दिल्ली में स्थित है। 

सोमवार, 18 अगस्त 2014

राजेंद्र यादव बिना हंस का पहला सालाना जलसा


उमेश चतुर्वेदी
(वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय द्वारा संपादित पत्रिका यथावत में प्रकाशित)
31 जुलाई 2014 की दिल्ली के ऐवान-ए-गालिब सभागार में हर साल की तरह गहमागहमी तो थी, लेकिन बौद्धिक समाज के बीच वह गर्मजोशी नजर नहीं आ रही थी, जो कथा और विचार पत्रिका हंस के सालाना जलसे की जान हुआ करती थी..इसके पुनर्संस्थापक और संपादक रहे राजेंद्र यादव से सहमति रखने वाले हों या असहमति, इक्का-दुक्का अवसरों को छोड़ दें तो इस कार्यक्रम में अपनी शिरकत जरूर करते रहे..2013 के कार्यक्रम की अनुगूंज ऐसी रही थी कि जिस वाम और प्रगतिवादी खेमे की बौद्धिकता को चरम पर पहुंचाने के लिए राजेंद्र यादव अपने हंस रूपी मंच का इस्तेमाल करते रहे थे, उसी राजेंद्र यादव के खिलाफ उनकी ही धारा के समझे जाने वाले लोगों ने मोर्चा खोल दिया था। राजेंद्र जी का अपराध सिर्फ इतना ही था कि उन्होंने उस साल का कार्यक्रम -वैदिकी हिंसा, हिंसा न भवति- जिसमें उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे और राष्ट्रवादी खेमे के प्रखर चिंतक गोविंदाचार्य को मंच पर ना सिर्फ बुलाया था, बल्कि उनका सारगर्भित भाषण कराया था।

शनिवार, 9 अगस्त 2014

समाजवाद को समझने का सूत्र

उमेश चतुर्वेदी
कई प्रखर नामों के बिना भारतीय समाजवाद के विकास और भारतीय राजनीति में गरीबों-मजलूमों की मजबूत आवाज की कल्पना नहीं की जा सकती। आजादी का पूरा आंदोलन गरीबी और भुखमरी को दूर करके भारत को स्वराज के जरिए सुराज तक पहुंचाने के मकसद से ओतप्रोत रहा। लेकिन भारतीय संसद में दिल से गरीबों के समर्थन में आवाज कम ही उठी। भारतीय संसद में गरीबों की आवाज पहली बार संजीदा ढंग से 1963 में उठी। यही वह साल है, जब डॉक्टर राम मनोहर लोहिया पहली बार फर्रूखाबाद के उपचुनाव में जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। लोकसभा में लोहिया के पहुंचते ही पहली बार कांग्रेस सरकार को अहसास हुआ कि संसद में सचमुच कोई विपक्ष है।

शुक्रवार, 8 अगस्त 2014

सोनिया पर किताबी विवाद


उमेश चतुर्वेदी
राजनीति चाहे कहीं की भी हो..लगता है एक नियम पूरी शिद्दत से हर जगह लागू होता है..अपने प्रतिद्वंद्वी और विरोधी पर तब जोरदार हमले करो, जब उसकी हालत सबसे ज्यादा कमजोर हो..यूपीए की चुनावी हार और संसद में कांग्रेस की ऐतिहासिक पराजय के बाद गांधी-नेहरू परिवार के खिलाफ जिस तरह पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के किताबी हमले की वजह भी राजनीति का यह नियम ही है..  किताब के प्रकाशन के बाद जिस तरह नटवर सिंह लगातार बयान दे रहे हैं और खुलासे पर खुलासे करते जा रहे हैं, उससे तो यही लगता है कि विदेश मंत्री पद से हटाए जाने की उनकी टीस उन्हें खाए जा रही है। तेल के बदले अनाज योजना में 2005 में नाम आने के बाद नटवर सिंह को विदेश मंत्री पद से हटाकर काफी दिनों तक बिना विभाग का मंत्री बनाये रखा गया। किताब में जिस तरह उन्होंने खुलासे किए हैं, उससे अगर यह माना जाने लगे कि उन्होंने अपने गुस्से को अपनी किताब का शक्ल दिया है तो इसकी वजह उनके कांग्रेस छोड़ने के बाद के राजनीतिक पराभव में तलाशा जा सकता है। इसीलिए उनकी आत्मकथा वन लाइफ इज नॉट एनफ भी चर्चा में है। 

फ्रांस का औपन्यासिक चित्रण


उमेश चतुर्वेदी
(यथावत में प्रकाशित)
हिंदी पाठकों के लिए सुनील गंगोपाध्याय का नाम अनजाना नहीं है। साहित्य अकादमी के अध्यक्ष रहे गंगोपाध्याय के रचनात्मक संसार को हिंदी पाठकों ने ज्यादातर कहानियों और उनके उपन्यासों के जरिये ही जाना है। बांग्ला साहित्य के अप्रतिम हस्ताक्षर रहे सुनील गंगोपाध्याय गजब के साहित्यिक पत्रकार भी रहे हैं। साहित्यिक पत्रकारिता का संस्कार और साहित्यिक मन जब मिलते हैं तो उसके प्रभाव से जो भ्रमण वृत्तांत सामने आता है, वह उपन्यास और कई बार तो कविता जैसा आनंद देने लगता है। सुनील गंगोपाध्याय का हिंदी में अनूदित होकर आए भ्रमण वृत्तांत चित्रकला, कविता के देशे को पढ़ते हुए बार-बार ऐसा अनुभव होता है। सुनील गंगोपाध्याय ने साठ के दशक में अमेरिका में एक लेखन प्रोग्राम के तहत अमेरिकी शहर आयोवा की यात्रा की थी। इस यात्रा से पहले वे कलकत्ता, अब कोलकाता के साहित्यिक समाज में अपना स्थान बना चुके थे। बांग्ला में लगातार जारी उनके लेखन ने उन्हें इस यात्रा का मौका दिलाने में भूमिका निभाई थी। निम्न मध्यवर्गीय परिवार के उस घर घुस्सू युवा के लिए यह आमंत्रण ही चौंकाऊ था। जिसके लिए विदेश यात्रा पर जाना तो एक सपना तो था, लेकिन उसका उससे भी बड़ा सपना था अपने निम्नमध्यवर्गीय माहौल में ही जीते हुए अपने ही परिवार के बीच अपने ही शहर में रहना। लेकिन इस सपने में एक यह सपना भी था कि वह महान साहित्यकारों और चित्रकारों के साथ ही पूरी दुनिया में अपनी सांस्कृतिक गतिविधियों और संभ्रांत समाज के लिए विख्यात फ्रांस का दर्शन भी करे। लेकिन यह दर्शन इतना जल्दी हो सकता है, युवा गंगोपाध्याय सोच भी नहीं पाते। आयोवा जाते वक्त जब हवाई जहाज पेरिस हवाई अड्डे पर रूका तो फ्रांस दर्शन का सपना जैसे पूरा होता नजर आया और पेरिस हवाई अड्डे से ही फ्रांस के दर्शन में इतना निमग्न हुए कि वहां से अमेरिका जाने वाली फ्लाइट ही छूट गई। आखिर ऐसा हो भी क्यों नहीं..खुद लेखक के शब्दों में हमारी दृष्टि में उस वक्त फ्रांस स्वर्ग के समान था। असंख्य शिल्पी-साहित्यकार-कवियों की लीला भूमि....यहां ही देगा, मोने,माने, गोगा, मातिस-रूयो, जैसे महान शिल्पी..आज भी यहां चित्र बनाते हैं पिकासो.

गुरुवार, 24 जुलाई 2014

नया मीडिया और ग्रामीण पत्रकारिता

  • उमेश चतुर्वेदी 

दिल्ली के विधानसभा चुनावों में एक क्रांति हुई है। इस क्रांति की कहानी दो साल पहले तब लिखी जानी शुरू हुई थी, जब अन्ना दिल्ली के जंतर-मंतर पर जनलोकपाल को लेकर धरने पर बैठ गए थे। तब दिल्ली और उसके आसपास के युवाओं का हुजूम जंतर-मंतर पर उमड़ आया था। माना गया कि इस हुजूम को प्रेरणा काहिरा के तहरीक चौक पर उमड़े जनसैलाब से मिला। मिस्र, लीबिया,ट्यूनिशिया और सीरिया जैसे अरब देशों में लोकतंत्र के लिए जो आवाज उठी और लोगों का भारी समर्थन मिला, उसे मुख्यधारा की मीडिया ने अरब स्प्रिंग यानी अरब बसंत का नाम दिया। अरब देशों में चूंकि लोकतंत्र की वैसी गहरी जड़ें नहीं हैं, जैसी अमेरिका-ब्रिटेन जैसे पश्चिमी मुल्कों या फिर अपने यहां है, लिहाजा अरब स्प्रिंग की कामयाबी की कहानी अभी लिखी जानी बाकी है। लेकिन यह भी सच है कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की जीत ने कामयाब क्रांति की एक कहानी जरूर लिख दी है। अरब स्प्रिंग हो या अन्ना का पहले जंतर-मंतर और बाद में रामलीला मैदान का अनशन...इसके पीछे जनसमर्थन जुटाने में सोशल मीडिया ने बड़ी भूमिका निभाई। सोशल मीडिया में इन दिनों जोर फेसबुक और ट्विटर पर है। लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि ब्लॉग भी इसी मीडिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ब्लॉगिंग ने भी अपनी तरह से इस आंदोलन को व्यापक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। निश्चित तौर पर चाहे सोशल मीडिया हो या फिर ब्लॉग या फिर ट्विटर, उसे इंटरनेट यानी अंतरजाल का सहारा चाहिए। अंतरजाल यानी इंटरनेट के मंच के बिना सोशल मीडिया की कल्पना नहीं की जा सकती। वैसे यह दौर कन्वर्जेंस यानी अंतर्सरण का भी है। इंटरनेट पर मौजूद सभी मीडिया को हम नया मीडिया कहते हैं। लेकिन इस नये मीडिया के मंच पर अब पारंपरिक मीडिया यानी अखबार और पत्रिकाओं के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के दोनों महत्वपूर्ण स्तंभ टेलीविजन और रेडियो भी मौजूद है। एक तरफ से दूसरी तरफ का आवागमन और उसके अंदर से बाहर तक की तांकझांक की यह सहूलियत ही कन्वर्जेंस की बदौलत हासिल हो पाई है। मोटे तौर पर भारत जैसे देश मे इस सारे मंच को अब भी शहरी माध्यम ही माना जाता है। लेकिन क्या सचमुच अब भी यह शहरी माध्यम ही है।

गुरुवार, 10 जुलाई 2014

मोदी सरकार की एक और पलटी, चीन युद्ध की रिपोर्ट पर मुकरी

     
mediamimansa,
Here's what's trending on Twitter this week.
 
     

Dr. Kumar Vishvas @DrKumarVishwas

ख़बरदार जो किसी ने ख़बर दिखाई.कहा था करेंगें.नही करते अब.जो करना है कर लो.राष्ट्रद्रोही कहीं के.हुंह
navbharattimes.indiatimes.com/india/national…

09 Jul

मोदी सरकार की एक और पलटी, चीन युद्ध की रिपोर्ट पर मुकरी

नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आने के बाद कई पलटियां मार चुकी है। रेल किराया हो या डीजल के दाम...

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ET Real Estate @ETRealEstate

Will the #EconomicSurvey present a good road map for recovery? bit.ly/U2KSmF
1. Yes
2. No
3. Can't Say

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09 Jul

Economic Survey 2014-2015: Economic Survey 2014 of India, Budget 2014 at ET

Economic Survey 2014-2015 report at Economic Times. The Annual Economic Survey 2014-15 is the Finance Ministry's view on the economic development of the country. Presented before the Union Budget, by the Finance…

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Padmaja joshi @PadmajaJoshi

It could be 1) power nap 2) jetlag 3) meditating on crisis facing country timesnow.tv/Cong-V-P-Rahul…

09 Jul

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CNN-IBN News @ibnlive

Live: Free-kick for #ARG and it's in Messi's territory. ow.ly/yYgko #WorldsCup #ARGvsNED

09 Jul

World Cup 2014 Live: De Jong, Van Persie start for Netherlands in semis

Catch all the updates from the second semifinal between Netherlands and Argentina at Arena de Sao Paulo.

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Sonam Kapoor @sonamakapoor

#InstaSize #soulmate #khoobsurat be your self, anything else will be deservice! If he ca... ift.tt/1n5TwY6 pic.twitter.com/elz9hLz7oO

09 Jul

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Newsflicks @newsflicks

09 Jul

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Raj Nayak @rajcheerfull

#Wild card .. Face of between Old & New Contestants
bit.ly/JDJ-P21
This weekend on #JhalakDhiklaja @MadhuriDixit @karanjohar 😊👍

09 Jul

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Sohini Dutt @Sohini_Dutt

Our weekend stunner @MercedesBenzInd #CLA45AMG on #OVERDRIVE @CNBCTV18News Saturday 1pm & Sun 12.30 & 7.30pm pic.twitter.com/LfKQrdAi5k

09 Jul

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