उमेश चतुर्वेदी
उपन्यास सम्राट
प्रेमचंद के हंस का 28 साल पहले नई कहानी आंदोलन की त्रयी के अहम
रचनाकार राजेंद्र यादव ने जब दोबारा प्रकाशन शुरू किया था, तब एक ही उम्मीद थी कि
हंस साहित्य का नीर-क्षीर विवेकी तो होगा ही, हिंदी साहित्य के रचनात्मक पटल पर
अपनी अमिट छाप भी छोड़ेगा। हंस ने हिंदी की साहित्यिक रचनाधर्मिता में आलोड़न पैदा
भी किया। हंस में छपी चर्चित कहानियों की सूची काफी लंबी है..उदय प्रकाश का
तिरिछ और और अंत में प्रार्थना, शिवमूर्ति
का तिरिया चरितर, सृंजय का कामरेड का कोट जैसी कहानियां हंस में प्रकाशित होने के
बाद महीनों तक चर्चा में रहीं..हिंदी साहित्य में हंस की उपस्थिति और उसकी हनक का
अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसमें प्रकाशित होने के लिए रचनाकार
लालायित रहते हैं...राजेंद्र यादव का संपादकीय मेरी-तेरी उसकी बात पर भी
हिंदी का बौद्धिक जगत निगाहें लगाए रखता है.