"उपन्यास और कविताएं
वस्तुतः जीवन और समाज की धड़कन होती है। व्यक्तित्व चेहरों से याद रखे जाते
हैं या कृति के माध्यम से। लेखक अपनी कृति से सदैव जीवित रहता है ।"यह उद्गार
हेमंत फाउंडेशन पुरस्कार समारोह के मुख्य अतिथि भोपाल से पधारे आईसेक्ट यूनिवर्सिटी
के रिसर्च जनरल अनुसंधान के संपादक सुप्रसिद्ध कवि विजयकांत वर्मा ने 20 जनवरी 2018 को श्री राजस्थानी
सेवा संघ के सभागार में व्यक्त किए।
कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्वलन से शुरू हुआ। अतिथियों का स्वागत करते हुए
संस्था की अध्यक्ष सुप्रसिद्ध साहित्यकार संतोष श्रीवास्तव ने अपने स्वागत भाषण
में कहा
"यह पुरस्कार हमारे लिए एक इम्तिहान की तरह है जिसे हम जीवन की चुनौती मानकर
हर साल आयोजित करते हैं और आयोजित करते रहेंगे।" सितारों के आगे जहां और भी
है अभी इश्क के इम्तिहां और भी है"
आयोजन की प्रस्तावना तथा संस्था का परिचय कथाकार
पत्रकार संस्था की सचिव प्रमिला वर्मा ने दिया। उन्होंने विजय वर्मा कथा सम्मान
एवं हेमंत स्मृति कविता सम्मान का संक्षिप्त इतिहास भी बतलाया। विजय वर्मा
सम्मान के लिए चयनित पुस्तक "दीनानाथ की चक्की" के बारे में बोलते
हुए सुप्रसिद्ध पत्रकार हरीश पाठक ने कहा "अशोक मिश्र की कहानियां विमर्शवादी
या फैशनेबल कहानियां नहीं है ।उन्होंने संग्रह की कहानी `पत्रकार बुद्धिराम @पत्रकारिता डॉट
कॉम" का विशेष उल्लेख किया । उन्होंने कहा कि इस
कहानी में पत्रकारिता का पूरा सच बहुत ही विश्वसनीय ढंग से लिखा गया है। पाठक ने
अशोक मिश्र की कहानी ‘दीनानाथ की चक्की’ और अन्य की विस्तार से चर्चा की ।
हेमंत स्मृति कविता सम्मान के लिए चयनित पुस्तक वसंत
के पहले दिन से पहले पर नवभारत टाइम्स मुंबई के सहायक संपादक हरि मृदुल ने कहा
"राकेशजी की कविता चालू मुहावरों और बड़बोलेपन से पूरी तरह मुक्त है इसीलिए
गहरी है, पाठक से बतियाती और संवेदना को छूती इस तरह की कविताएं काफी कम लिखी जा रही
हैं । इन्हीं अर्थों में "बसन्त के पहले दिन से पहले " एक मूल्यवान
संग्रह है उनके पास प्रतिरोध की इकाई प्रभावशाली कविताएं हैं। विजय वर्मा कथा
सम्मान सूर्यबालाजी के कर कमलों द्वारा अशोक मिश्र एवं विजयकांत वर्मा द्वारा
हेमंत स्मृति कविता सम्मान राकेश पाठक को प्रदान किया गया ।
अपने वक्तव्य में कथाकार अशोक मिश्र ने कहा
"मेरे लिए कहानी लिखना किसी आम आदमी की पीड़ा को वाणी देने जैसा है । मेरी
कोशिश होती है कि अन्याय, असमानता, पक्षपात, अव्यवस्था, शोषण के दुष्चक्र में पिसते और मेहनत मजदूरी कर गुजारा करने वाले मजदूर या
किसान की दशा का थोड़ा सा चित्रण कर सके तो शायद लिखना सार्थक कहलाएगा ।"
डॉ राकेश पाठक ने संस्था को धन्यवाद देते हुए कहा
"कविता आम आदमी को बेहतर मनुष्य बनाने का काम करती है। इस हिंसक समय में
प्रेम कविताएं मनुष्यता का संदेश देती हैं। उन्होंने अपनी एक प्रेम कविता का पाठ
रोचक अंदाज में प्रस्तुत किया।जेजेटी यूनिवर्सिटी के कुलपति एवं राजस्थानी सेवा
संघ के प्रमुख विशिष्ट अतिथि विनोद टीबड़ेवाला ने राजनीतिक गतिविधियों पर गहरी चिंता
व्यक्त की और साहित्यकारों की लेखनी से परिवर्तन होने का आव्हान किया।
समारोह की अध्यक्ष सुप्रसिद्ध साहित्यकार सूर्यबाला ने कहा।
"यह दोनों पुरस्कार एक बहन एक मां द्वारा अपने दिवंगत रचनाकार भाई और सगे
बेटे को दी गई श्रद्धांजलि है । संतोषजी ने अपने दुख के अंकुरों को रोपकर उन्हें
संवेदना और रचनात्मकता के घने छायादार वृक्ष में परिवर्तित कर दिया। इन पुरस्कारों
का हमारे महानगर के साहित्यिक परिदृश्य को बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है और इस
मंच से पुरस्कृत नामों की विश्वसनीयता पर कभी सवाल नहीं उठे।"
कवि गजलकार देवमणि पांडेय ने कार्यक्रम का संचालन
किया।
कार्यक्रम में शहर के वरिष्ठ साहित्यकार एवं
पत्रकारिता की दुनिया से जुड़े संपादक और साहित्यकारों की गरिमामय उपस्थिति
रही। विशेष रूप से कानपुर से आए वाणी के संपादक श्री हरि वाणी, झांसी से आए वरिष्ठ कवि साकेत सुमन चतुर्वेदी ,कोलकाता से आए
वरिष्ठ कवि कपिल आर्य, समाजसेवी विजय वर्मा, धीरेंद्र अस्थाना, सूरजप्रकाश, बृजभूषण साहनी, राजेश विक्रांत, फिरोज खान, असीमा भट्ट ,ज्योति गजभिए ,रीता रामदास, अमर त्रिपाठी ,मुरलीधर पांडे,नागेन्द्र नाथ
गुप्ता,विद्याभूषण त्रिवेदी,आभा दवे ,वनमाली चतुर्वेदी,,सुनील सिंह
आदि रचनाकारों की उपस्थिति विशेष रूप से दर्ज़ की गई।