ईस्ट इंडिया कंपनी की भाषा नीति और हिंदी
उमेश चतुर्वेदी
अगर भारतीयों
को पूरी तरह से समझना और उन्हें कंपनी के शासन से संतुष्ट रखना है तो सबसे अच्छा
उपाय यही हो सकता है कि सरकार के जिन जूनियर सिविल सेवकों को जनसंपर्क में रहकर
प्रशासन की जिम्मेदारी संभालनी है, उन्हें हिंदुओं और मुसलमानों के रीति-रिवाजों,
काम करने के तरीकों और धार्मिक मान्यताओं की जानकारी हो।
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लॉर्ड
वेलेजली
हिंदी को राजभाषा का
उचित स्थान नहीं मिलने की जब भी चर्चा होती है, 1835 में लागू की गई अंग्रेजी शिक्षा को जमकर कोसा जाता है।
जिसे मैकाले की मिंट योजना के तहत लागू किया गया था। लेकिन इसके साढ़े तीन दशक
पहले ही राजकाज में हिंदी या हिंदुस्तानी की जरूरत और अहमियत को भारत में कंपनी
राज संभालने आए लॉर्ड वेलेजली ने समझ लिया था। उनकी यह समझ उनके इस बयान में साफ
झलक रही है।