मीडिया विमर्श के आयोजन में 7 फरवरी को होंगे अलंकृत
हिंदी की साहित्यिक
पत्रकारिता को सम्मानित किए जाने के लिए दिया जाने वाला पं. बृजलाल द्विवेदी अखिल
भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान इस वर्ष ‘संवेद’ (दिल्ली) के संपादक श्री किशन कालजयी को प्रदान किया जाएगा। श्री किशन कालजयी साहित्यिक पत्रकारिता के एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर होने के साथ-साथ
देश के जाने-माने संपादक एवं लेखक हैं।
सम्मान कार्यक्रम 7, फरवरी, 2016 को गांधी भवन, भोपाल में सायं 5.30 बजे आयोजित किया
गया है। मीडिया विमर्श पत्रिका के कार्यकारी संपादक संजय द्विवेदी ने बताया कि
आयोजन में अनेक साहित्यकार, बुद्धिजीवी और पत्रकार हिस्सा लेंगे। सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.
बृज किशोर कुठियाला होंगे तथा अध्यक्षता शिक्षाविद् और समाज सेवी संकठा प्रसाद
सिंह करेंगे। आयोजन में साहित्यकार गिरीश पंकज, हरिभूमि के प्रबंध संपादक डा. हिमांशु द्विवेदी उपस्थित रहेंगे। पुरस्कार के
निर्णायक मंडल में सर्वश्री विश्वनाथ सचदेव, रमेश नैयर, डा. सच्चिदानंद
जोशी, डा.सुभद्रा राठौर और जयप्रकाश मानस शामिल हैं। इसके पूर्व यह
सम्मान वीणा(इंदौर) के संपादक स्व. श्यामसुंदर व्यास, दस्तावेज(गोरखपुर)
के संपादक विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, कथादेश (दिल्ली) के संपादक हरिनारायण, अक्सर (जयपुर) के
संपादक डा. हेतु भारद्वाज, सद्भावना दर्पण (रायपुर) के संपादक
गिरीश पंकज, व्यंग्य यात्रा (दिल्ली) के संपादक
डा. प्रेम जनमेजय और कला समय(भोपाल) के संपादक विनय उपाध्याय को दिया जा चुका है।
त्रैमासिक पत्रिका ‘मीडिया विमर्श’ द्वारा प्रारंभ किए गए इस अखिल भारतीय सम्मान के तहत साहित्यिक
पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले संपादक को ग्यारह हजार
रूपए, शाल, श्रीफल, प्रतीक चिन्ह और सम्मान पत्र से अलंकृत किया जाता है।
कौन हैं किशन कालजयी
किशन कालजयी देश के जाने-माने
साहित्यकार,पत्रकार, संस्कृतिकर्मी और लेखक हैं। इस समय वे दिल्ली से‘संवेद’ और ‘सबलोग’ नामक दो पत्रिकाओं का संपादन कर रहे हैं। मूलतः झारखंड के निवासी
श्री किशन कालजयी भारतीय ज्ञानपीठ में वरिष्ठ प्रकाशन अधिकारी के अलावा नई बात, पर्यावरण, लोकायत, विक्रम शिला टाइम्स, सहयात्री जैसे पत्रों के संपादन से जुड़े रहे हैं। अनुपम मिश्र की ‘किताब साफ माथे का समाज’ का आपने संपादन किया है। आप मुंगेर के कालेज में हिंदी विभाग में
प्राध्यापक भी रहे। आपने इसके साथ ही कई ड्रामा स्क्रिप्ट का लेखन और नाटकों का
निर्देशन भी किया। श्री नेमिचंद्र जैन पर एक घंटे की डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाने के
अलावा पांच अन्य डाक्यूमेंट्री फिल्में बनाई हैं। दो नाटकों के लिए आपको बेस्ट
डायरेक्टर अवार्ड भी मिल चुका है। दिल्ली, बिहार और झारखंड में आपने अनेक संस्थाओं का गठन, संचालन तो किया ही है, साथ ही उनके माध्यम से अनेक सांस्कृतिक-साहित्यिक गतिविधियों का
आयोजन भी किया है।