मीडिया में इंद्रेश प्रकरण की कवरेज
(गतांक से आगे)....
मुंबई से प्रकाशित डीएनए ने जयपुर डेटलाइन से
24 अक्टूबर को एक ही खबर प्रकाशित की है, जिसका शीर्षक है- आरएसएस ली़डर इन अजमेर
ब्लास्ट चार्जशीट सीज कान्सिपरेसी। दो कॉलम की इस खबर को दूसरे पेज तक फैलाया गया
है। इसके बाद डीएनए ने 3 नवंबर को खबर प्रकाशित की। तीन कॉलम की इस खबर का शीर्षक
था – आरएसएस लान्च नेशनवाइड
प्रोटेस्ट इन इंद्रेश सपोर्ट। इकोनॉमिक टाइम्स ने इसी दिन पूरे कॉलम में यह खबर
प्रकाशित की है, जिसके साथ दो कॉलम का इंद्रेश कुमार और दूसरे नेताओं का फोटो भी
है। इस खबर का शीर्षक है- एटीएस नेम्स आरएसएस लीडर इन अजमेर ब्लास्ट चार्जशीट।
कोलकाता से प्रकाशित द टेलीग्राफ ने 24 अक्टूबर को छह कॉलम में खबर छापी है – ब्लास्ट क्लाउड ऑन आरएसएस आउटरीच मैन। इसके
साथ ही अंदर के पेज पर राधिका रामशेषन की दिल्ली से चार्जशीट टाइमिंग लीव्स बीजेपी
स्टन्ड शीर्षक से विश्लेषण भी प्रकाशित किया गया है।
तीन कॉलम के इस विश्लेषण में
कांग्रेस पर बीजेपी के आरोपों को भी जगह दी गई है। बेंगलुरू से प्रकाशित डेक्कन
हेराल्ड में पहले पृष्ठ पर एक कॉलम की छोटी खबर छपी है, जिसे पेज नंबर 11 पर
फैलाया गया है। इस खबर का शीर्षक है – आरएसएस लीडर एक्यूज्ड प्लॉटिंग अजमेर ब्लास्ट।
अब एक नजर डालते हैं हिंदी अखबारों की कवरेज
पर। हिंदुस्तान ने 24 अक्टूबर को चार
खबरें प्रकाशित कीं। जयपुर से एजेंसी की खबर का अखबार ने शीर्षक दिया है – अजमेर ब्लास्ट मामले में घिरे आरएसएस नेता
इंद्रेश कुमार। संघ की प्रतिक्रिया पर आधारित एक कॉलम की छोटी खबर का शीर्षक है – इंद्रेश का नाम जोड़ना सियासी साजिश। तीन
कॉलम की खबर अखबार के विशेष संवाददाता ने लिखी है- जिसका शीर्षक है कांग्रेस ने
तेज किया संघ पर हमला। इसी दिन संपादकीय पृष्ठ पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी
के नेता सीताराम येचुरी के लेख अजमेर चार्जशीट और संघ के तर्क को प्रमुखता से
प्रकाशित किया है। दैनिक हिंदुस्तान ने 27 अक्टूबर को जयपुर और दिल्ली डेटलाइन से
लिखी एक कॉलम की खबर प्रकाशित की है – इंद्रेश से पूछताछ करेगी एटीएस।
हिंदी अखबारों में सबसे ज्यादा कवरेज दिल्ली
से प्रकाशित नई दुनिया का है। 24 अक्टूबर को उसने कुल सात खबरें प्रकाशित कीं।
प्रमुख खबर जयपुर ब्यूरो की है- अजमेर धमाके की चार्जशीट में संघ नेता इंद्रेश
कुमार का नाम। पहले पेज पर तीन कॉलम की इस खबर को अंदर के पेज तक फैलाया गया है।
अंदर के एक पेज पर इंद्रेश के बारे में एक और खबर है- कर्नल पुरोहित ने भी लिया था
इंद्रेश का नाम। कांग्रेस के संघ पर हमले की सिंगल कॉलम खबर भी है – सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ रहा है संघ
: कांग्रेस। दो कॉलम की खबर भी है – संघ और इंद्रेश के बचाव में खड़ी हुई भाजपा।
संघ के अगले कदम पर तीन कॉलम में मनोज वर्मा का विश्लेषण भी है – हिंदू आतंकवाद के मुद्दे पर बड़ी लड़ाई की
तैयारी। बगल में दो कॉलम को एक कॉलम में फैलाकर इंद्रेश कुमार की प्रतिक्रिया भी
प्रकाशित की गई है – जांच
एजेंसियों का दुरूपयोग हो रहा है : इंद्रेश
कुमार। इसके साथ ही तीन कॉलम में तकरीबन चौथाई पेज में अखबार ने अजमेर ब्लास्ट और
इसके सिलसिले में दायर चार्जशीट की पृष्ठभूमि प्रकाशित की गई है। जिसमें बीस दिसंबर को चार्जशीट दायर करने के
वक्त का पूरा ब्यौरा दिया गया है। 25 अक्टूबर को भी अखबार ने इस मुद्दे की कवरेज
पर अच्छी-खासी जगह दी है। इस दिन तीन कॉलम की खबर में अखबार ऐलान करता है कि
धमाकों में कुछ और नाम सामने आएंगे। दिल्ली और जयपुर से लिखी इस खबर को शशिधर पाठक
और कपिल भट्ट के नाम के साथ प्रकाशित किया गया है। लखनऊ से एक कॉलम की खबर इसी दिन
भी है- आरएसएस पर पाबंदी लगाएं : रीता।
28 अक्टूबर को भी इस अखबार ने तीन खबरें प्रकाशित की हैं, जिनमें दो बाइलाइन है।
पहली बाइलाइन दिल्ली से विनोद अग्निहोत्री की है। पांच कॉलम की इस खबर का शीर्षक
है – हिंदुत्ववादियों पर दिवाली
बाद कसेगा फंदा। जयपुर से कपिल भट्ट की बाइलाइन है – वसुंधरा के खासे नजदीकी रहे हैं इंद्रेश। चार कॉलम की
इस खबर के साथ ही इसी दिन इंद्रेश के मार्गदर्शन में हुआ था विस्फोट शीर्षक खबर भी
दी गई है। नई दुनिया अपने कर्तव्य की इतिश्री यहीं नहीं समझ लेता। अखबार ने 31
अक्टूबर यानी रविवार के दिन विशेष फोकस किया है। पूरे दो पेज की इस कवरेज में
मुख्य कथा है धमाकों के पीछे का सच। इसी तरह दूसरे पेज पर मुख्य कथा का शीर्षक है – संघ के चेहरे पर छाया दरगाह धमाके का धुआं।
इस शीर्षक के अंतर्गत तीन स्टोरियां प्रकाशित की गई हैं, जिनका शीर्षक है- दरगाह
की सुरक्षा में हैं कई सुराख, सरकार के दबाव में मध्य प्रदेश एटीएस और भाजपा सरकार
के वक्त रही संघ की बल्ले-बल्ले। इसके साथ ही दोनों पृष्ठों पर राजस्थान एटीएस की
चार्जशीट के प्रमुख अंश प्रकाशित किए गए हैं। नई दुनिया की यह कवरेज प्रतिद्वंद्वी
अखबारों से आगे रहने की दौड़ का हिस्सा है या कुछ और समझना आसान नहीं लगता। इसी
सिलसिले में अखबार ने 3 नवंबर को दो कॉलम की खबर प्रकाशित की। कांग्रेस के हवाले
से मिली और नई दिल्ली से लिखी इस खबर का शीर्षक है – संघ व सहयोगी संगठनों की कलई खुल गई है : कांग्रेस। 4 नवंबर को भी एक खबर प्रकाशित करता
है – अजमेर धमाके में एक और
गिरफ्तारी। जयपुर डेटलाइन की यह खबर महज दो कॉलम की ही है। 5 नवंबर को इसी अखबार
ने दो खबरें प्रकाशित कीं- संघ के बहाने हिंदुओं पर किया जाता है हमला : संघ और जब भी प्रतिबंध लगा, संघ मजबूत हुआ
: भाजपा। इसी
तरह 8 नवंबर को लखनऊ से योगेश मिश्र की खबर अखबार ने प्रकाशित की है, जिसमें भाजपा
का साथ न लेने के संबंध में आरएसएस की सफाई को जगह दी गई है। इस खबर का शीर्षक है – भाजपा के कंधे पर बंदूक रखकर नहीं लड़ेगा
संघ।
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