उमेश चतुर्वेदी
ये समीक्षा अमर उजाला में छप चुकी है।
कैथरीन मैन्सफील्ड ने 35 वर्ष की छोटी-सी ही उम्र में जो भी रचा, उसने अंग्रेजी साहित्य में इतिहास रच दिया। कैथरीन की कहानियों के ¨हिंदी अनुवाद गार्डन पार्टी और अन्य कहानियां को पढ़ते हुए कैथरीन की सोच और ¨जिंदगी के प्रति अदम्य आशावाद को देखना बेहद दिलचस्प है। कैथरीन ने जब लेखन की शुरुआत की उस दौर में कहानी को शास्त्रीय ढंग से लिखना और शास्त्रीय ढांचे में कथानक, कथोपकथन और विषयवस्तु जैसे छह उपादानों में फिट किया जाता था, कैथरीन ने नई सोच के साथ इस फ्रेम को तोड़ा। कैथरीन की कहानियां गार्डन पार्टी हो या फिर दिवंगत कनüल की बेटियां या फिर आदर्श परिवार, हर जगह ना तो कथानक है और ना ही ढांचे में बंधा हुआ कोई अंत। कहानी का अंत एकदम से अचानक भी नहीं होता। क्लाइमेक्स पर अचानक से खत्म होती कहानियों के साथ पाठक भी बिंब और भाव के धरातल पर टंगा रह जाता है। लेकिन कैथरीन की इन कहानियों को पढ़ते हुए कहीं से भी ये बोध जागृत नहीं होता।
कैथरीन का जन्म उन्नीसवीं सदी के आखिरी दिनों में न्यूजीलैंड में हुआ था। न्यूजीलैंड आज भी कोई तेज भागती ¨जदगी वाला देश नहीं है, जैसा कि आज यूरोप, अमेरिका और काफी हद तक भारत और चीन की हालत हो गई है। पंद्रह साल की उम्र में लंदन पढ़ने गई कैथरीन ने फिर दोबारा न्यूजीलैंड का रुख नहीं किया। उसकी ज्यादातर ¨जिंदगी लंदन-पेरिस या जर्मनी में गुजरी। लेकिन न्यूजीलैंड की स्मृतियां कैथरीन की रचनाओं में शिद्दत से उभरती रहीं। गार्डन पार्टी, मिस ब्रेल और उसका पहला नाच पढ़ते हुए न्यूजीलैंड के उस दौर की सुस्त ¨जिंदगी के एक-एक रूप सामने आते हैं।
कैथरीन की जिंदगी का पहला प्यार संगीत था। वह प्रोफेशनल चेलीवादक बनना चाहती थी। लेकिन समय के थपेड़े और अपनी उद्विग्न ¨जिंदगी की बदौलत नहीं बन पाई। लेकिन अपने लेखन में उसने अपने इस पहले प्यार को ¨जिंदा रखा है। उसका पहला नाच और संगीत का सबक जैसी कहानियों में कैथरीन ने अपने इस पहले प्यार को बखूबी बरकरार रखा है। इन कहानियों को पढ़ने के बाद ही पता चलता है कि कैथरीन को संगीत की बारीकियां किस कदर पता थीं। बहरहाल कैथरीन की इन कहानियों के जरिए पहले विश्वयुद्ध के दौर के यूरोपीय समाज और बौçद्धक वातावरण को समझने में मदद मिलती है। उम्मीद है कि ¨हदी के पाठक भी विश्व क्लासिक की इस कृति के जरिए ना सिर्फ अंग्रेजी साहित्य की इस महान कृतिकार की रचनाओं से परिचित होंगे, बल्कि बीसवीं सदी के शुरुआती दौर के यूरोपीय समाज और एक विद्रोही महिला के स्वभाव से भी परिचित हो सकेंगे।
संपादक-कात्यायनी
पुस्तक - गार्डन पार्टी और अन्य कहानियां
कैथरीन मैन्सफील्ड
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली
मूल्य- - 75 रुपये।
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1 टिप्पणी:
kaha padne ko milegi aadmya jijeevisha ki kahaniya.....
namaskar umeshji
aapke duara bheji gai sameechha padkar aadmya jijeevisha ki kahaniya padne ki ikchha hui. krapya batay ki unki kahaniya kaha milegi.
rakesh chaturvedi(indore)
Auragabad, lokmat
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