गुरुवार, 28 फ़रवरी 2008

क्या पत्रकार आजाद हैं ?

उमेश चतुर्वेदी
देश के संविधान का अनुच्छेद 19 ए सबको बोलने और लिखने की आजादी तो देता है – लेकिन क्या आज का पत्रकार सचमुच स्वतंत्र है। ये सवाल उठाया है देश के सूचना और प्रसारण मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी ने । दासमुंशी ने ये सवाल मध्य प्रदेश के जाने-माने पत्रकार और माधव राव सप्रे संग्रहालय भोपाल के संस्थापक विजय दत्त श्रीधर की पुस्तक भारतीय पत्रकारिता कोश के लोकार्पण के मौके पर दिल्ली में उठाया। प्रियरंजन दासमुंशी का ये सवाल सचमुच गंभीर है और पत्रकारिता संस्थानों में काम करने वाले पत्रकार रोजाना ही ऐसी स्थितियों का सामना करते है। ये भी सच है कि पत्रकारिता तो आजाद है – लेकिन पत्रकारों की आजादी पर चोट लग रही है। प्रियरंजन दासमुंशी ने कहा कि वे लगातार सोचते रहते हैं कि पत्रकारों की आजादी को कैसे बरकरार रखा जाय। उन्होंने कहा कि वक्त आ गया है कि पत्रकारिता घरानों के कारपोरेट मैनेजमेंट को बदला जाय- ताकि पत्रकारिता ही नहीं – पत्रकार भी आजाद हो।
दासमुंशी देश के सूचना और प्रसारण मंत्री हैं। जाहिर है – इसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी उन्हीं पर है। लेकिन क्या सचमुच वे ऐसा करना चाहते हैं – इसका जवाब तो भविष्य ही देगा। लेकिन ये सच है कि विजय दत्त श्रीधर का दो खंडों में प्रकाशित ये कोश – करीब 187 साल की भारतीय भाषाओं की पत्रकारिता का जीवंत दस्तावेज है। इसे दिल्ली के वाणी प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। जो ना सिर्फ पत्रकारिता के जिज्ञासुओं – बल्कि अध्येताओं के लिए बेहतरीन किताब साबित होगी।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

ye vastav me eak ghambher mamala hai, aajkal jese dekho vo apane ko patarkar kahta hai, kese chanel me kuch din internship karle aur ban haye patarkar,

mahesh kumar