शुक्रवार, 25 अप्रैल 2008

टीआरपी पर सवाल उठाना अब खतरे से खाली नहीं

दासमुंशी को मिली धमकी !
टीआरपी को दुरूस्त करने की कवायद शुरू करने वाले सूचना और प्रसारण मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी को ऐसा न करने के लिए धमकी दी गई। इसका खुलासा खुद दासमुंशी ने गुरुवार को लोकसभा में किया तो सदन में जैसे सन्नाटा छा गया। उन्होंने यह कहकर हड़कंप मचा दिया कि उन्हें 5 बार धमकी दी गई कि वह टीवी चैनलों की टीआरपी रेटिंग में हो रही धांधली को दुरुस्त करने के चक्कर में नहीं पड़ें।

सदन में नाराज दिख रहे दासमुंशी ने कहा कि टीआरपी एक गेमप्लान है। सौ करोड़ के देश में केवल कुछ घरों में मीटर लगाए गए हैं। इनमें भी आश्चर्यजनक रूप में पूरे बिहार, पूर्वाचंल और पूर्वोत्तर को शामिल नहीं किया जाता। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के चालू वर्ष की अनुदान मांगों पर बहस का जवाब देते हुए दासमुंशी ने कहा कि मुझे पांच बार धमकी दी गई। उन्होंने विपक्ष में बैठे बीजेपी के सदस्यों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि आपके ही एक सदस्य ने मुझे टीआरपी की गड़बड़ी के बारे में बताया था। उस सदस्य को भी धमकी मिली है।
बहस में सदस्यों द्वारा मीडिया को अनुशासित करने की मांग का जिक्र करते हुए दासमुंशी ने कहा कि सरकार सख्ती से नियंत्रण करने के पक्ष में नहीं है, बल्कि वह बातचीत के माध्यम से रास्ता निकालना चाहती है। कानून या सख्ती स्थायी समाधान नहीं हैं। मंत्री ने कहा कि हम डंडे से काम नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि टेलिविजन अधिनियम में थोड़ा दखल देने की जरूरत है। लेकिन इसकी निगरानी की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। मीडिया में अश्लीलता और अभद्रता के बारे में उन्होंने कहा कि इस मामले में वे पूरी सख्ती बरत रहे हैं। ऐसे मामलों में 280 नोटिस दिए गए हैं।
अब ये देखना दिलचस्प रहेगा कि दासमुंशी को धमकी देने वालों की जांच कराने में सरकार दिलचस्पी दिखाती है या नहीं। लेकिन अगर ऐसा हुआ है तो इसकी जांच होनी चाहिए और लोगों के सामने दूध का दूध और पानी का पानी आना चाहिए। नहीं तो इससे ना सिर्फ टेलीविजन मीडिया उद्योग – बल्कि सरकार से भी लोगों का भरोसा उठते देर नहीं लगेगी।

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