दिल्ली पत्रकार संघ एवं नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) ने राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग के साथ मिलकर “मीडिया रिपोर्टिंग और बाल अधिकार” विषय पर आज एक मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया। कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आयोजित इस कार्यशाला में बाल अधिकारों से जुड़ी खबरों के प्रति संवेदनशीलता के बारे में पत्रकारों को जानकारी दी गयी।
इस अवसर पर उपस्थित राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने बताया कि आयोग बच्चों के अधिकारों को लेकर बेहद सजग है और इस संदर्भ में पत्रकारों का सहयोग बेहद अहम है। उन्होंने मीडिया की सहभागिता पर जोर देते हुए कहा कि आयोग बाल शोषण की किसी भी खबर पर तुरंत कार्रवाई करता है। उन्होंने पत्रकारों से अपील की कि वे बाल अधिकारों के संरक्षण से संबंधित किसी भी खबर को प्रकाशित करने से पहले अथवा बाद में यदि आयोग को उस संबंध में सूचित करते हैं तो आयोग उस पर तुरंत कार्रवाई कर दोषियों को दंडित कराने का प्रयास करेगा। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति सीधे 1098 नंबर पर अथवा आयोग के मुख्यालय में किसी भी मामले की जानकारी दे सकता है। उन्होंने बताया कि आयोग ने इस साल जिन मामलों में कार्रवाई की है उनमें करीब 10 प्रतिशत मामलों में मीडिया में प्रकाशित खबरों का स्वतः संज्ञान लिया गया है।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग की सदस्य सचिव गीता नारायण ने बाल अधिकारों के संरक्षण से संबंधित महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधानों से पत्रकारों को अवगत कराया। उन्होंने विस्तार से बताया कि किस कानून के तहत दोषी के लिए कितनी सजा का प्रावधान है और किस अपराध के लिए कौन सा कानून है। उन्होंने पत्रकारों से विशेष आग्रह किया कि वे किसी भी परिस्थिति में पीड़ित की पहचान को सार्वजनिक न करें जो न केवल कानूनन गलत है कि बल्कि पीड़ित के साथ घोर अन्याय भी है।
नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) के महासचिव मनोज वर्मा ने सुझाव दिया कि आयोग को इस तरह की कार्यशाला का आयोजन देशभर में करना चाहिए, जिससे पत्रकारों को बाल संरक्षण से जुड़े कानूनों के बारे में अधिक जानकारी मिल सके। उन्होंने मुजफ्फरपुर और कठुआ की घटनाओं का जिक्र करते हुए न्यायालय द्वारा उन पर लिये गये संज्ञान और मीडिया के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार पर की गयी टिप्पणियों का भी जिक्र किया। प्रसार भारती में सलाहकार एवं वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेन्द्र बरतरिया ने कहा कि मीडिया बहुत ताकतवर है और उसकी इस शक्ति का उपयोग बाल अधिकारों के संरक्षण हेतु किया जाए। उन्होंने कहा कि बाल अधिकारों के हनन का कोई भी मामला ध्यान में आता है तो उसकी सूचना राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग को देकर खबर को और असरकारी बनाया जा सकता है।
पाञ्चजन्य संपादक हितेश शंकर ने कहा कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग के नियम जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होते. क्या वहां महिलाओं एवं बच्चों के अधिकार मायने नहीं रखते और सिर्फ अलगाववादियों के अधिकार ही महत्त्वपूर्ण हैं। दिल्ली पत्रकार संघ के अध्यक्ष मनोहर सिंह ने राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग को सुझाव दिया कि वह मीडिया को आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराने के साथ साथ सही रिपोर्टिंग के लिए कुछ पत्रकारों को प्रतिवर्ष पुरस्कृत भी करे।
दिल्ली पत्रकार संघ के महासचिव डॉ प्रमोद सैनी ने कहा कि दिल्ली पत्रकार संघ पत्रकारों के कौशल विकास के लिए सतत प्रयासरत है और आज की यह कार्यशाला उसी कौशल विकास का अंग है। उन्होंने ऐसी ही कार्यशाला डेस्क पर काम करने वाले पत्रकारों के लिए भी आयोजित करने का सुझाव दिया। उन्होंने आयोग को यह भी सुझाव दिया कि पत्रकारों के लिए उपयोग दिशानिर्देश हिन्दी में तैयार करके पूरे देश में प्रसारित करे और दिल्ली पत्रकार संघ इसमें पूर्ण सहयोग करेगा।
कार्यशाला में उपस्थित प्रैस एसोसिएशन के अध्यक्ष जयशंकर गुप्ता ने दिल्ली पत्रकार संघ एवं नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के इस प्रयास की प्रशंसा की। कार्यशाला में दिल्ली पत्रकार संघ के उपाध्यक्ष अनुराग पुनेठा एवं राकेश आर्य, पूर्व अध्यक्ष अनिल पांडे, कोषाध्यक्ष नेत्रपाल शर्मा, सचिव सचिन बुधौलिया, वरिष्ठ पत्रकार उमेश चतुर्वेदी, संतोष सूर्यवंशी, विजय लक्ष्मी, निशि भाट सहित 100 से अधिक पत्रकार उपस्थित थे।
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