टोकियो, 13 जून। जाने-माने भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता और सुलभ शौचालय जैसी सस्ती तकनीक के जनक डॉ. बिंदेश्वर पाठक को यहां इस साल के प्रतिष्ठित निक्की एशिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह पुरस्कार संस्कृति और समुदाय श्रेणी के लिए दिया गया।
जापान का प्रतिष्ठित निक्की-एशिया पुरस्कार एशिया की उन हस्तियों और संगठनों को दिया जाता है, जिन्होंने लोगों के सामुदायिक जिंदगी में क्रांतिकारी और सकारात्मक बदलाव लाने में बड़ी भूमिका निभाई है।
1996 में निक्की इंडस्ट्री द्वारा स्थापित यह पुरस्करार एशिया में क्षेत्रीय विकास, विज्ञान, तकनीक और नवाचार के साथ ही संस्कृति और समुदाय की श्रेणी में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है। भारत से पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह और इन्फोसिस के चेयरमैन एन आर नारायणमूर्ति इस पुरस्कार से पहले सम्मानित हो चुके हैं। निक्की इंडस्ट्रीज ने अपने जापानी भाषा के अपने अखबार की 120वीं सालगिरह पर 1996 में इस पुरस्कार की स्थापना की थी। यह कंपनी जापान के प्रमुख आर्थिक अखबार का प्रकाशन करती है। जिसके अंग्रेजी और चीनी भाषा में भी संस्करण हैं।
सुलभ इंटरनेशल के संस्थापक को आज सुबह यह सम्मान निक्की इंडस्ट्रीज के प्रेसिडेंट नाओतोशी ओकादा ने दिया। सम्मान की घोषणा करते हुए सम्मान समिति के अध्यक्ष फुजियो मितराई ने कहा कि डॉक्टर पाठक को यह सम्मान उनके देश की दो बड़ी चुनौतियों खराब साफ-सफाई व्यवस्था और भेदभाव की चुनौती का मुकाबला करने के लिए दिया जा रहा है।
डॉक्टर पाठक के साथ चीन के पर्यावरण विद् मा जून को जहां इंटरनेट के जरिए सफाई व्यवस्था को सुधारने के लिए सम्मानित किया गया, वहीं वियतनाम के प्रोफेसर न्ग्यें थान लीम को विज्ञान और तकनीकी श्रेणी में बच्चों के लिए सस्ती दवाओं के विकास के लिए दिया गया।
गौरतलब है कि डॉ पाठक ने दो गड्ढों वाले फ्लश और पर्यावरण अनुकूल कम्पोस्ट बनाने वाले सुलभ शौचालय का आविष्कार किया है। जिसने विकासशील दुनिया के करोड़ों लोगों की जिंदगी में बड़ा बदलाव लाने में बड़ी भूमिका निभाई है। इसके साथ ही इसने ग्रामीण महिलाओं और हाथ से मैला सफाई करने वाली जिंदगी में भी सकारात्मक बदलाव लाने में भूमिका निभाई है।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र के विशेषज्ञ इस पुरस्कार के लिए अपनी तरफ से नामांकन दाखिल करते हैं। हालांकि वे स्वयं अपना नामांकन नहीं दाखिल कर सकते। इस पुरस्कार के लिए जापानी नागरिक और संगठन अपना नामांकन नहीं दे सकते।
डॉ पाठक ने यह पुरस्कार समाज के उस कमजोर वर्ग को समर्पित किया जिसकी बेहतरी के लिए वे पांच दशकों से अधिक समय से अभियान चला रहे हैं।
उन्होंने कहा, "यह पुरस्कार विशेष रूप से एशिया में समाज की सेवा के प्रति मेरी प्रतिबद्धता में एक और मील का पत्थर साबित होगा।"
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