गुरुवार, 5 नवंबर 2015

13 दिसंबर की याद, संदर्भ असहिष्णुता का विरोध....

उमेश चतुर्वेदी


13 दिसंबर 2001
संसद पर आतंकी हमले को सुरक्षा बलों ने नेस्तनाबूद कर दिया था...संसद भवन और उसके आसपास सेना और अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियां तैनात हो चुकी थीं..तब मैं दैनिक भास्कर के दिल्ली ब्यूरो में बतौर संवाददाता तैनात था और उस घटना को रिपोर्ट कर रहा था...सेना ने संसद परिसर और उसके आसपास विमानभेदी तोपें तैनात कर दी थीं..ताकि अगर हवाई हमले भी हों तो उन्हें नेस्तनाबूद किया जा सके..अफरातफरी के बाद नई दिल्ली इलाके में धीरे-धीरे शांति लौट रही थी..लेकिन संसद के केंद्रीय कक्ष में बदहवास बैठे सांसद अपने डर पर काबू नहीं पा रहे थे..तब गृहमंत्री के नाते लालकृष्ण आडवाणी और रक्षा मंत्री के नाते जार्ज फर्नांडिस ने केंद्रीय कक्ष में जाकर सांसदों को आश्वस्त करना तय किया..पहले आडवाणी गए और उन्होंने सांसदों को बताया कि हालात काबू में हैं और जल्द ही सब कुछ सामान्य हो जाएगा। इसके बाद जार्ज फर्नांडिस केंद्रीय कक्ष पहुंचे। ऐसे मौकों पर अपने देश में सेना और उसकी ताकत पर भरोसा पुलिस से कहीं ज्यादा नजर आता है..जार्ज बोलने के लिए तैयार हुए...तो सांसदों ने उन्हें घेर लिया. सुरक्षा के जो-जो उपाय हो सकते थे, जार्ज ने रक्षा मंत्री के नाते कर ही दिए थे, उनकी जानकारी भी सांसदों को दी..आखिर में जार्ज ने यह भी बताया कि सेना ने संसद परिसर में विमान भेदी तोपें तैनात कर दी है और हालात पूरी तरह सेना और सुरक्षा बलों के नियंत्रण में हैं..इसलिए घबराने की कोई बात नहीं है.. इतना कहकर जार्ज जैसे ही लौटने लगे, उन्हें सांसदों ने घेर लिया...जार्ज से हाथ मिलाने के लिए सांसदों में होड़ लग गई..उनमें तब की विपक्ष खासकर कांग्रेस के सांसद सबसे आगे थे...सभी जार्ज का शुक्रिया कर रहे थे..कुछ ने तो यहां तक कह दिया है कि जार्ज यू आर अ ग्रेट डिफेंस मिनिस्टर..यू हैव डन वैरी गुड जॉब लाइक अ ग्रेट डिफेंस मिनिस्टर...ये कहने में कोई हर्ज भी नहीं था..लेकिन विपक्षी सांसदों के मुंह से निकली ये बात तब इसलिए कहीं ज्यादा अहम थी, क्योंकि तब जॉर्ज को विपक्ष रक्षा मंत्री ही नहीं मान रहा था..जिस ताबूत घोटाले में हाल ही में जॉर्ज को सुप्रीम कोर्ट ने बरी किया और सीबीआई को झाड़ पिलाई, उसी कथित घोटाले के चलते विपक्ष उन्हें संसद के दोनों सदनों में देखना तक नहीं पसंद करता था..जिस दिन लोकसभा या राज्यसभा में रक्षा मंत्रालय की बारी होती, प्रश्नकाल शुरू होते ही कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष सदन से बाहर निकल जाता था - भाई जब रक्षा मंत्री मानते ही नहीं तो सवाल का जवाब क्यों सुनें...लेकिन आतंकी हमले के बाद उन्हीं सांसदों में संसद के केंद्रीय कक्ष में जॉर्ज का आभार जताने के लिए होड़ मच गई...असहिष्णुता को लेकर मौजूदा केंद्र सरकार पर उठ रहे सवाल, मोदी सरकार के साथ विपक्ष के जारी असहयोग को देखते हुए एक बार फिर यह घटना याद आ गई...

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