tag:blogger.com,1999:blog-2153620758149800447.post878747035002113292..comments2023-10-07T05:31:34.848-07:00Comments on मीडिया मीमांसा/ MEDIAMIMANSA: नागरी लिपि या रोमन हिंदीumesh chaturvedihttp://www.blogger.com/profile/11750711292912505261noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-2153620758149800447.post-37009444756645310692010-04-04T23:23:41.816-07:002010-04-04T23:23:41.816-07:00असगर के तर्क बहुत बचकाने हैं। वे ऐसे ही हैं जैसे क...असगर के तर्क बहुत बचकाने हैं। वे ऐसे ही हैं जैसे कोई किसी काम के लिये घर से बाहर जाता है और काम न हो, या बहुत परेशानी हो, या कोई दुर्घटना हो जाय तो उसका कारण देखने लगते हैं - कोई कहता है कि उठते ही अमुक का मुँह देख लिया था; कोई कहता है कि घर से निकलते समय फलां का मुंह देख लिया था; कोई कहता है कि घर से निकलते ही बच्चे ने टोक दिया था कि पिताजी कहाँ जा रहे हैं ; कोई कहता है कि शियार/बिल्ली या कोई और जानवर ने रास्ता काट दिया था। लोग सही कारण जानना ही नहीं चाहते।<br /><br />मेरे खयाल से असगर किसी गुप्त एजेण्डे के कार्यान्वयन का प्रयास कर रहे हैं। उन्हें इस मामले में जरूरत से अधिक महत्व दिया जा रहा है।अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.com