tag:blogger.com,1999:blog-2153620758149800447.post6357756662208060439..comments2023-10-07T05:31:34.848-07:00Comments on मीडिया मीमांसा/ MEDIAMIMANSA: शब्द संकोचन का शिकार बनती हिंदीumesh chaturvedihttp://www.blogger.com/profile/11750711292912505261noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2153620758149800447.post-69602967833034748092010-11-10T03:44:24.997-08:002010-11-10T03:44:24.997-08:00ये तो पक्का अपना कॉलेज होगा जिसके बारे मे आपने ज़ि...ये तो पक्का अपना कॉलेज होगा जिसके बारे मे आपने ज़िक्र किया है। मुझे लगता है हमारी हिंदी अब बड़ी हो रही है और अब अपने यौवन काल मे है। और संस्कृति का बढ़ना तो अच्छी बात है। मगर साथ ही मेरा ये भी मानना है कि कुछ बुनियादी चीज़ों की समझ होना बेहद ज़रुरी है इसलिए कम से कम शुद्ध पढ़ना और समझना बेहद ज़रुरी है और ज़माने के साथ चलना दूसरी बात है। दोनो की अपनी अपनी महत्ता है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06919729904386272910noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2153620758149800447.post-55323333561430353852010-11-10T03:44:21.056-08:002010-11-10T03:44:21.056-08:00ये तो पक्का अपना कॉलेज होगा जिसके बारे मे आपने ज़ि...ये तो पक्का अपना कॉलेज होगा जिसके बारे मे आपने ज़िक्र किया है। मुझे लगता है हमारी हिंदी अब बड़ी हो रही है और अब अपने यौवन काल मे है। और संस्कृति का बढ़ना तो अच्छी बात है। मगर साथ ही मेरा ये भी मानना है कि कुछ बुनियादी चीज़ों की समझ होना बेहद ज़रुरी है इसलिए कम से कम शुद्ध पढ़ना और समझना बेहद ज़रुरी है और ज़माने के साथ चलना दूसरी बात है। दोनो की अपनी अपनी महत्ता है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06919729904386272910noreply@blogger.com