tag:blogger.com,1999:blog-2153620758149800447.post4402591999150415179..comments2023-10-07T05:31:34.848-07:00Comments on मीडिया मीमांसा/ MEDIAMIMANSA: कहां है हमारा भाषाई स्वाभिमानumesh chaturvedihttp://www.blogger.com/profile/11750711292912505261noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-2153620758149800447.post-57504364229304867222013-04-25T05:43:36.015-07:002013-04-25T05:43:36.015-07:001-2 साल पहले दिल्ली हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में ...1-2 साल पहले दिल्ली हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में एक फरियादी महिला ने मांग की थी कि उसे हिंदी में बोलने दिया जाए क्योंकि वो अपनी बाद हिंदी में ही पूरे विश्वास के साथ कह सकती है ..माननीय न्यायाधीश ने परंपरा से हटने हुए कहा कि हिंदी में अपनी बात रखने की आजादी उस महिला को दे दी ये कहते हुए कि हालांकि काम अंग्रेजी में ही होगा...पर वो हिंदी में बोल सकती है..औऱ कोई कारण नहीं है उन्हें रोकने का क्योंकि वो हिंदी जानते हैं..वकील हिंदी जानता है। इस तरह से न्यायालय के न्यायाधीश चाहें तो उतर भारत में तो कम से कम हिंदी पूरी तरह से हाईकोर्ट में लागू हो सकती है। Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.com