शनिवार, 20 दिसंबर 2014

ज़िंदगी बादे फना तुझको मिलेगी हसरत, तेरा जीना तेरे मरने की बदौलत होगा

फैजाबाद/अयोध्या. पिछले कई सालों से अयोध्या फिल्म सोसाइटी द्वारा आयोजित फिल्म फेस्टिवल का समापन हो गया. गौरतलब है कि अवध की गंगा-जमुनी तहजीब को समर्पित इस फेस्टिवल में सिनेमा के माध्यम से समाज और राजनीतिक चेतना से जुड़े मुद्दों पर बहस की जाती है. बता दें कि फेस्टिवल 'अवाम कासिनेमा' का उद्घाटन प्रेस क्लब 
फैजाबाद में किया गया. इस दौरान काकोरी के क्रांतिवीर की जेल डायरी और दुर्लभ दस्तावेज़ो की प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया. इस अनोखी प्रदर्शनी का उद्घाटन फ़िल्मकार-लेखिका मधुलिका सिंह के हाथों हुआ. फैजाबाद/अयोध्या. पिछले कई सालों से अयोध्या फिल्म सोसाइटी द्वारा आयोजित फिल्म फेस्टिवल का समापन हो गया. गौरतलब है कि अवध की गंगा-जमानी तहजीब को समर्पित इस फेस्टिवल में सिनेमा के माध्यम से समाज और राजनीतिक चेतना से जुड़े मुद्दों पर बहस की जाती है. बता दें कि फेस्टिवल 'अवाम का सिनेमा' का उद्घाटन प्रेस क्लब फैजाबाद में किया गया. इस दौरान काकोरी के क्रांतिवीर की जेल डायरी और दुर्लभ दस्तावेज़ो की प्रदर्शनी का भी आयोजन
किया गया. इस अनोखी प्रदर्शनी का उद्घाटन फ़िल्मकार-लेखिका मधुलिका सिंह के हाथों हुआ.

शुक्रवार, 19 दिसंबर 2014

पेशेवर और व्यावसायिकता के बीच भारतीय पत्रकारिता

(मनोरमा ईयर बुक हिंदी के लिए श्री राजेश कालिया की प्रेरणा से लिखा गया और 2014 के अंक में प्रकाशित)

उमेश चतुर्वेदी
भारतीय पत्रकारिता इन दिनों दो विपरीत विचारधाराओं की रस्साकशी के बीच झूल रही है..तकनीकी बदलाव, बढ़ते आर्थिक दबाव और नैतिक मूल्यों में आ रही गिरावट के बीच मीडिया का लगातार विस्तार हो रहा है। इस विस्तार की गवाही भारत के समाचार पत्रों के महापंजीयक के आंकड़े भी देते हैं। जिनके मुताबिक 31 मार्च 2013 तक देश में 94067 समाचार पत्र और पत्रिकाएं पंजीकृत थीं। भारत में मीडिया की पहुंच और अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसमें समाचार पत्रों की संख्या जहां 12511 रही, वहीं साप्ताहिकों और पत्रिकाओं की संख्या 81556 रही। दुनिया के विकसित देशों में जब प्रिंट मीडिया की मौत के युग के खात्म की घोषणा की जा रही है, वहीं भारत में प्रिंट मीडिया में लगातार विकास हो रहा है। इसकी गवाही 2011-12 के दौरान पंजीकृत पत्रों की संख्या देती है, जो 7337 रही। समाचार पत्र और पत्रिकाएं पंजीकृत हुईं। ये तो रही प्रिंट मीडिया की बात..इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में भी लगातार विकास हो रहा है। 2012 में जारी ट्राई के आंकड़ों के मुताबिक देश में निजी सेक्टर के करीब 245 एफएम चैनल लगातार प्रसारण कर रहे हैं। इसके अलावा भारत में आकाशवाणी के 413 चैनल काम कर रहे हैं। इसके साथ ही दूरदर्शन के 46 स्टूडियो और करीब 1400 केंद्र लगातार काम कर रहे है। इसके अलावा निजी क्षेत्र के करीब 800 खबरिया चैनल तमाम भाषाओं में लगातार चौबीसों घंटे लगातार प्रसारण कर रहे हैं। इसमें जून 2014 में आए टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के इंटरनेट से जुड़े आंकड़ों को जोड़े बिना भारतीय मीडिया की मुकम्मल तस्वीर पेश नहीं की जा सकती। इस आंकड़े के मुताबिक देश में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 24 करोड़ 30 लाख हो गई है।
आंकड़ों में विकास और विस्तार की यह तसवीर तो सरसरी तौर पर यही साबित करती है कि भारतीय मीडिया सुनहले दौर से गुजर रहा है। लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट है। भारतीय मीडिया इन दिनों पेशवराना अंदाज, नैतिकता की समस्या और साख के संकट से कहीं ज्यादा गुजर रहा है।