शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

अपने समाज में झांके अमेरिका


उमेश चतुर्वेदी
दुनिया में जब भी कहीं अराजकता या आम जनता पर कथित हमला होता है, अमेरिका खुद-ब-खुद लोकतंत्र और मानवता का हिमायती बन कर वहां हस्तक्षेप करने के लिए उतावला हो जाता है। दुनिया में आज लोकतंत्र की जो अवधारणा तकरीबन मान्य हो चुकी है, वह लोकतांत्रिक व्यवस्था अमेरिका और ब्रिटेन की प्रचलित व्यवस्था ही है। इतना ही नहीं, जब कहीं मानवाधिकार पर सवाल उठते हैं या मानव अधिकारों पर स्थानीय सरकारें हमला करती हैं, अमेरिका अपने आप दुनिया का दरोगा बनकर वहां हस्तक्षेप करने को उतावला हो जाता है। लेकिन क्या अमेरिकी समाज सचमुच इतना लोकतांत्रिक और मानवतावादी हो चुका है, जहां उसके ही बनाए लोकतांत्रिक मॉडल खरे उतरते हों। भारतीय मूल की नीना दावुलूरी के 15 सितंबर को मिस अमेरिका चुने जाने के बाद से अमेरिकी समाज में जो कुछ होता दिख रहा है, उससे अमेरिकी समाज के लोकतांत्रिक और मानवाधिकारवादी होने की हकीकत सामने आ जाती है।