शुक्रवार, 11 मई 2012


प्रभाषजी ने पूरी हिंदी पत्रकारिता को दिशा और भाषा दी
शंभूनाथ शुक्ल
वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ल ने प्रभाष जी पर यह संस्मरण अपने फेसबुक वाल पर लिखा है। जिसे वहां से लेकर साभार प्रकाशित किया जा रहा है- मॉडरेटर


जनसत्ता के एक पुराने साथी और वरिष्ठ पत्रकार ने राजीव मित्तल ने जनसत्ता के फाउंउर और उस पत्र के प्रधान संपादक रहे दिवंगत प्रभाष जोशी के बारे में टिप्पणी की है कि माली ने ही बगिया उजाड़ डाली। शायद चीजों का सरलीकरण है। उत्साहीलाल लखनौआ पत्रकार कुछ ज्यादा ही नाजुक होते हैं न तो उनमें संघर्ष का माद्दा है न चीजों की सतह तक जाने का साहस। जब तक रामनाथ गोयनका जिंदा रहे एक भी ऐसा मौका नहीं मिलता जब जनसत्ता के प्रसार के लिए प्रभाष जी चिंतित न रहे हों। लेकिन आरएनजी की मृत्यु के बाद हालात बदल गए और जनसत्ता प्रबंधन की कुचालों का शिकार हो गया। यह सच है कि जनसत्ता को एक्सप्रेस प्रबंधन ने कभी पसंद नहीं किया लेकिन आरएनजी के रहते प्रभाष जी प्रबंधन की ऐसी कुचालों का जवाब देते रहे। लेकिन विवेक गोयनका, जो खुद हिंदी नहीं जानते थे उनका इस हिंदी अखबार से क्या लगाव हो सकता था। दिल्ली के एक्सप्रेस ग्रुप में मुख्य महाप्रबंधक के रूप में राजीव तिवारी की नियुक्ति और जनसत्ता के संपादकीय विभाग के कुछ अति वामपंथी तबकों ने मिलकर जनसत्ता को भीतर से पिचका दिया। राजीव मित्तल जनसत्ता में तब आए जब जनसत्ता का पराभव काल शुरू हो चुका था वरना जनसत्ता ने उस वक्त की राजनीति और पत्रकारिता को एक ऐसी दिशा और दशा प्रदान की थी जो न तो कभी टाइम्स ग्रुप अपने हिंदी अखबार नवभारत टाइम्स को दे पाया था न बिड़ला की धर्मशाला कहा जाने वाला हिंदुस्तान।

बुधवार, 9 मई 2012


इंटरनेट कानूनों का सख्ती से पालन हो - इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बेंच ने 8 मई को आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बेंच में दायर रिट याचिका संख्या 3489/2012 में आदेश देते हुए कहा है कि आज का युग इंटरनेट का युग है, अतः इंटरनेट सम्बंधित नियमों को पूरी सख्ती से पालन किया जाए. अमिताभ और नूतन ने अपना पक्ष कोर्ट में स्वयं रखा जबकि भारत सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अशोक निगम ने रिट याचिका का इस आधार पर विरोध किया कियाचीगण ने याहू,गूगल आदि को प्रतिवादी नहीं बनाया है.