सोमवार, 9 अप्रैल 2012

ऊर्जा का संचार करते शब्द

उमेश चतुर्वेदी
मौजूदा भारतीय समाज में राजनेताओं की जुबान से निकले शब्दों पर वह एतबार नहीं रहा, जैसा कभी समाज के अगुआ लोगों की जुबान का रहता था। इसके बावजूद आज के दौर में भी कई शख्सियतें ऐसी हैं, जिनके मुंह से निकले शब्दों के एक-एक हर्फ जिंदगी में नई ऊर्जा का संचार कर देते हैं। उनकी जुबान से निकले शब्दों में ऐसी ताकत होती है कि कई जिंदगियां बदल जाती हैं तो कई सारी जिंदगियां ऐसी भी होती हैं, जिनमें नई आग भर जाती है। महान लोगों के शब्दों की तासीर इतनी गहरी होती है कि उनके सहारे कई नए आंदोलन तक खड़े हो जाते हैं। याद कीजिए बाल गंगाधर तिलक के उस भाषण को..जो आज तक भारतीय आजादी का प्रतीक बना हुआ है स्वशासन का अर्थ कौन नहीं जानता? उसे कौन नहीं चाहता? क्या आप यह पसंद करेंगे कि मैं आपके घर में घुसकर आपकी रसोई को कब्जे में ले लूं ? अपने घर के मामले निपटाने का मुझे अधिकार होना चाहिए। एक सदी से ज्यादा हो गए इस भाषण के..लेकिन यह आज भी भारतीयों की स्वतंत्रता को अक्षुण्ण बनाए रखने में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है। ये तो रहा एक सदी से भी पुराने भाषण का अंश.....अभी कुछ साल पहले अब्दुल कलाम ने जो भाषण दिया था, वह आज भी भारतीय नौजवानों में ऊर्जा का नया संचार कर रहा है। इस भाषण का एक अंश देखिए- अपने से पूछिए कि आप भारत के लिए क्या कर सकते है। भारत को आज का अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश बनाने के लिए जो भी करने की जरूरत है,  करिए।

अमेरिका आज दुनिया में विकास और ताकत का मॉडल बना हुआ है। लेकिन डेढ़ सदी पहले अमेरिका ऐसा नहीं था। वहां भी असमानताएं थीं, गोरे-काले का भेद था। देश भयंकर गृहयुद्ध झेलने को मजबूर भी हुआ..जिस पर अब्राहम लिंकन ने काबू पाया। गृहयुद्ध के बाद नए अमेरिका को बनाने के लिए उन्होंने काफी संघर्ष किया। उन्हीं संघर्ष के दिनों अमेरिकावासियों को संबोधित उनके एक भाषण का अंश है –“ अब हमें पूर्ण संकल्प लेना चाहिए, ताकि शहीदों का बलिदान व्यर्थ न जाए, ताकि इस राष्ट्र में स्वाधीनता का नया जन्म हो, ताकि जनता की सरकार, जनता के द्वारा संचालित सरकार, जनता के निमित्त सरकार इस धरती से खत्म न हो जाए। बेशक यह अमेरिकी लोकतंत्र के लिए दिया उनका संबोधन था, लेकिन आज पूरी दुनिया में लोकतंत्र को समझाने का यह भाषण सहज और सरल मंत्र बना हुआ है।
अपनी अभिव्यक्ति की इस ताकत से जनता को मंत्रमुग्ध करने और इतिहास को नई दिशा देने वाली 45 शख्सियतों के ऐसे ही महान भाषणों का संग्रह को प्रभात प्रकाशन ने विश्व के महान भाषण नामक पुस्तक में संकलित किया है। इस पुस्तक में लिंकन और महात्मा गांधी से लगायत आइंसटाइन और सुभाष चंद्र बोस तक जैसी हस्तियों के वे भाषण संकलित हैं, जिन्हें पढ़कर आज भी नये उत्साह का संचार होता है, खून खौल उठता है, इतिहास की धारा को मोड़ने वाली ऊर्जा का संचार होने लगता है तो करूणा और इंसानियत को लेकर सोचने को मजबूर हो जाना पड़ता है। 
पुस्तक विश्व के महान भाषण
संपादक सुशील कपूर
प्रकाशक प्रभात प्रकाशन, दिल्ली 110002
मूल्य -350
यह समीक्षा कादंबिनी के अप्रैल 2012 के अंक में प्रकाशित हो चुकी है। 

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