सोमवार, 30 मई 2011

फिर-फिर मीडिया विशेषांक

हिंदी की साहित्यिक पत्रिका रचना क्रम के यूं तो अभी दो ही अंक प्रकाशित हुए हैं। लेकिन इन्हीं दो अंकों के जरिए साहित्यिक पाठकों के बीच रचनाक्रम ने जो उपस्थिति बनाई है, साहित्य की विदाई के कथित दौर में संतोष का विषय है। पाठकों का रचनाक्रम को जो सहयोग मिल रहा है, वह रचनाक्रम के प्रकाशक और संपादक अशोक मिश्र की रचनाधर्मिता और संपादकीय दृष्टि को बेहतर बनाने एवं पत्रिका साहित्यिक तौर पर पाठकोपयोगी बनाने में मदद देगा। रचनाक्रम का उद्देश्य अपने पाठकों को सोद्देश्य और मूल्यपरक साहित्यिक एवं वैचारिक सामग्री पेश करना रहा है। इसी कड़ी में पत्रिका ने अपना तीसरा अंक मीडिया पर केंद्रित किया है। उदारीकरण के दौर में मीडिया के विस्फोटक विस्तार ने मीडिया पर सोचने और विचारने के साथ ही चर्चाओं का एक बड़ा प्लेटफार्म मुहैया कराया है। अब तक मीडिया को लेकर जो चर्चाएं होती रही हैं, उनमें अतिवादिता का बोलबाला रहा है। इन चर्चाओं और मीडिया के जबर्दस्त विस्तार के बीच पाठक और लोक कहीं खोता जा रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए रचनाक्रम ने अपना अगला विशेषांक मीडिया में लोक पर केंद्रित किया है। सच तो यही है कि आज का चाहे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हो या फिर प्रिंट मीडिया, लोक और आम आदमी और उसकी चिंताएं लगातार गायब हो रही हैं। इन्हीं चिंताओं के बहाने भारतीय मीडिया पर विमर्श दृष्टि डालने का रचनाक्रम का यह प्रयास है। इस प्रयास को बतौर लेखक और रचनाकार आप सुधीजनों के सहयोग की जरूरत है। आप मीडिया में हों या मीडिया के बाहर, मीडिया में प्रचलित धारणाओं और प्रवृत्तियों को लेकर आपकी सोच क्या है, या आपको मीडिया कैसा दिखता है। इसे लेकर क्या सोचते हैं, आपकी सोच रचनाओं-लेखों, मीडिया हस्तियों के साक्षात्कार के तौर पर आमंत्रित हैं। अपनी रचना हमें मेल कर सकें तो हमारे लिए सहूलियत रहेगी। हमारा मेल आईडी है – uchaturvedi@gmail,com, editorrachnakram@gmail.com। वैसे आप अपनी रचनाएं डाक-कोरियर से भी अग्रलिखित पतों पर भेज सकते हैं –

1. संपादक, रचनाक्रम, पॉकेट डी -1/104 डी, डीडीए फ्लैट्स, कोंडली, दिल्ली – 110096, फोन - 9958226554

2. उमेश चतुर्वेदी, अतिथि संपादक, मीडिया विशेषांक, रचनाक्रम, द्वारा जयप्रकाश, एफ-23 ए, दूसरा तल, कटवारिया सराय, नई दिल्ली -110016, फोन - 9899870697