शनिवार, 3 जुलाई 2010

प्रथम चंद्रयान पुरस्कार कथाकार शेखर जोशी को


हिंदी के लब्ध प्रतिष्ठित कथाकार शेखर जोशी को मानिक दफ्तरी ज्ञानविभा ट्रस्ट के प्रथम चंद्रयान पुरस्कार- 2010 से नवाजा जायेगा। एक प्रेस विज्ञप्ति में प्रबंध न्यासी धनराज दफ्तरी ने बताया है कि नयी कहानी में सामाजिक सरोकारों का प्रतिबद्ध स्वर जोड़ने वाले शेखर जोशी को पुरस्कार स्वरुप 31000 रुपये की राशि भेंट की जाएगी। पुरस्कार समोराह कोलकाता के भारतीय भाषा परिषद् में रविवार 18 जुलाई को आयोजित होगा। इस समारोह की अध्यक्षता भारतीय भाषा परिषद् के निदेशक डाक्टर विजय बहादुर सिंह करेंगे जबकि जाने-माने आलोचक डॉक्टर शिवकुमार मिश्र मुख्य वक्ता के तौर पर कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। इस अवसर पर शेखर जोशी की प्रचलित कहानी दाज्यू का पाठ पत्रकार प्रकाश चंडालिया करेंगे। सितम्बर १९३२ में अल्मोड़ा जनपद के ओजिया गाँव में जन्मे शेखर जोशी की प्रारंभिक शिक्षा अजमेर और देहरादून में हुई। कथा लेखन को दायित्वपूर्ण कर्म मानने वाले जोशी हिंदी के सुपरिचित कथाकार हैं। उन्हें उ.प्र. हिंदी संस्थान द्वारा महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार-1987, साहित्य भूषण-1995, पहल सम्मान-1997 से सम्मानित किया जा चुका है। शेखर जोशी की कहानियों का तमाम भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेजी, चेक, रूसी, पोलिश और जापानी भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। कुछ कहानियों का मंचन और दाज्यू नामक कहानी पर बाल फिल्म सोसायटी ने फिल्म भी बनाई है। शेखर जोशी की प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ हैं- कोशी का घटवार, साथ के लोग, हलवाहा, नौरंगी बीमार है, मेरा पहाड़, प्रतिनिधि कहानियां और एक पेड़ की याद। दाज्यू, कोशी का घटवार, बदबू, मेंटल जैसी कहानियों ने न सिर्फ शेखर जोशी के प्रशंसकों की लम्बी जमात खडी की बल्कि नयी कहानी की पहचान को भी अपने तरीके से प्रभावित किया है। पहाड़ी इलाकों की गरीबी, कठिन जीवन संघर्ष, उत्पीड़न, यातना, प्रतिरोध, उम्मीद और नाउम्मीद्दी से भरे औद्योगिक मजदूरों के हालात, शहरी-कस्बाई और निम्नवर्ग के सामाजिक-नैतिक संकट, धर्म और जाति की रूढ़ियाँ उनकी कहानियों का विषय रहे हैं।

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