शुक्रवार, 25 अप्रैल 2008

तो चीन है इंटरनेट उपभोक्ताओं की खान ...

इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के मामले में चीन ने अमेरिका को पछाड़ दिया है। ताजा आंकड़ों के अनुसार चीन में अब 22 करोड़ 10 लाख लोग इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी जिनहुआ के अनुसार साल 2007 के अंत तक इंटरनेट उपयोगकरने वाले लोगों की संख्या 21 करोड़ थी। ताजा आंकड़े `चाइना इंटरनेट नेटवर्क इनफोरमेशन सेंटर´ ने जारी किए हैं। गौरतलब है कि चीन की कुल जनसंख्या की तुलना में अभी भी देश में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले आनुपातिक रूप से कम है। ताजा आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2007 के अंत में की चीन की कुल आबादी का 16 फीसदी ही इंटरनेट का उपयोग करता था जबकि विश्व में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं का औसत उस समय 19.1 प्रतिशत था।

टीआरपी पर सवाल उठाना अब खतरे से खाली नहीं

दासमुंशी को मिली धमकी !
टीआरपी को दुरूस्त करने की कवायद शुरू करने वाले सूचना और प्रसारण मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी को ऐसा न करने के लिए धमकी दी गई। इसका खुलासा खुद दासमुंशी ने गुरुवार को लोकसभा में किया तो सदन में जैसे सन्नाटा छा गया। उन्होंने यह कहकर हड़कंप मचा दिया कि उन्हें 5 बार धमकी दी गई कि वह टीवी चैनलों की टीआरपी रेटिंग में हो रही धांधली को दुरुस्त करने के चक्कर में नहीं पड़ें।

सदन में नाराज दिख रहे दासमुंशी ने कहा कि टीआरपी एक गेमप्लान है। सौ करोड़ के देश में केवल कुछ घरों में मीटर लगाए गए हैं। इनमें भी आश्चर्यजनक रूप में पूरे बिहार, पूर्वाचंल और पूर्वोत्तर को शामिल नहीं किया जाता। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के चालू वर्ष की अनुदान मांगों पर बहस का जवाब देते हुए दासमुंशी ने कहा कि मुझे पांच बार धमकी दी गई। उन्होंने विपक्ष में बैठे बीजेपी के सदस्यों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि आपके ही एक सदस्य ने मुझे टीआरपी की गड़बड़ी के बारे में बताया था। उस सदस्य को भी धमकी मिली है।
बहस में सदस्यों द्वारा मीडिया को अनुशासित करने की मांग का जिक्र करते हुए दासमुंशी ने कहा कि सरकार सख्ती से नियंत्रण करने के पक्ष में नहीं है, बल्कि वह बातचीत के माध्यम से रास्ता निकालना चाहती है। कानून या सख्ती स्थायी समाधान नहीं हैं। मंत्री ने कहा कि हम डंडे से काम नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि टेलिविजन अधिनियम में थोड़ा दखल देने की जरूरत है। लेकिन इसकी निगरानी की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। मीडिया में अश्लीलता और अभद्रता के बारे में उन्होंने कहा कि इस मामले में वे पूरी सख्ती बरत रहे हैं। ऐसे मामलों में 280 नोटिस दिए गए हैं।
अब ये देखना दिलचस्प रहेगा कि दासमुंशी को धमकी देने वालों की जांच कराने में सरकार दिलचस्पी दिखाती है या नहीं। लेकिन अगर ऐसा हुआ है तो इसकी जांच होनी चाहिए और लोगों के सामने दूध का दूध और पानी का पानी आना चाहिए। नहीं तो इससे ना सिर्फ टेलीविजन मीडिया उद्योग – बल्कि सरकार से भी लोगों का भरोसा उठते देर नहीं लगेगी।

गुरुवार, 24 अप्रैल 2008

चाबी की जगह दिखाती मीडिया टुडे

पुस्तक समीक्षा
पुस्तक - मीडिया टुडे
लेखक - विभूति नारायण चतुर्वेदी
प्रकाशक - फ्लेयर बुक्स
सी-6, वसुंधरा एंक्लेव,
दिल्ली-110096
मूल्य - 160 रूपए

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सूचना सलाहकार रहे एच वाई शारदा प्रसाद ने भारतीय जनसंचार संस्थान के निदेशक रहते वक्त छात्रों से कहा था-मैं आपको कुछ सिखा नहीं सकता, लेकिन आप सीख सकते हैं। पत्रकारिता के छात्रों के लिए एच वाई शारदा प्रसाद की कही गई बातें तकरीबन सभी कलाओं पर लागू होती है। पत्रकारिता आज भले ही एक पेशा बन गई है-इसे सिखाने का दावा करने वाले ढेरों संस्थान भी अचानक उग आए हैं-लेकिन शारदा प्रसाद की बातें आज भी उतनी ही खरी हैं-जितनी करीब तीस साल पहले थीं।
इस पुस्तक की भूमिका में वरिष्ठ पत्रकार मधुकर उपाध्याय ने इस कथन का उल्लेख करके एक बार फिर इसी तथ्य को साबित करने की कोशिश की है कि चाहे पत्रकारिता हो या फिर रूपंकर कलाएं-सीखी तो जा सकती हैं,लेकिन उन्हें सिखाया नहीं जा सकता। मधुकर ने जाने-अनजाने इस मीडिया टुडे की उपयोगिता को जाहिर भी किया है तो उसके औचित्य पर प्रश्नचिन्ह भी लगा दिया है। हकीकत ये है कि विभूति चतुर्वेदी ने अपनी इस पुस्तक में पत्रकारिता के छात्रों को पत्रकारिता के दैनंदिन जीवन में आने वाले तथ्यों की आधारभूत जानकारी देने की कोशिश की है-कुछ उसी अंदाज में-जिस तरह हम पूजा करते वक्त अपने देवताओं को पल्लव से जल छिड़क कर उन्हें अर्पित किया हुआ मान लेते हैं। प्रिंट पत्रकारिता की दैनंदिन की जरूरतों और उसमें काम आने वाली शब्दावली और तकनीक की जानकारी देने का प्रयास है ये पुस्तक। उन्होंने ये बताने की कोिशश की है खबर क्या होती है,खबर का मुखड़ा क्या होता है, रिपोर्टर और उप संपादक क्या होते हैं और उनका काम क्या है। रिपोर्टिंग चाहे आर्थिक हो या फिर राजनीतिक या अपराध की-उसमें कब कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए। विभूति ने ये बताने की कोशिश की है। विभूति चूंकि एजेंसी पत्रकारिता में सक्रिय हैं-लिहाजा एजेंसी की कार्यप्रणाली और उसकी पत्रकारिता की सीमाओं पर भी खासतौर पर कलम चलाई है।
पत्रकारिता पर मीडिया टुडे को सूचनात्मक किताब मान सकते हैं। जाहिर है इसका उद्देश्य पत्रकारिता के अध्येताओं तक पहुंचना नहीं,बल्कि पत्रकारिता के छात्रों को पत्रकारिता की उबड़-खाबड़ जमीन की पहचान कराना है। यही किताब की सीमा है और उपलब्धि भी। भूमिका लेखक मधुकर उपाध्याय ने किताब की इस खूबी और खामी को बेहतरी से पहचाना है-शायद यही वजह है कि उन्होंने इस किताब को कुछ-कुछ शारदा प्रसाद के वक्तव्य के मुताबिक पढ़ने की सलाह दी है।
किताब की सबसे बड़ी खामी है - प्रूफ की भयानक गलतियां । पत्रकारिता जहां भाषाई अनुशासन पर खास जोर की अपेक्षा की जाती है-वहां ऐसी गलतियां कम से उस पाठक वर्ग को तो गुमराह कर ही सकती हैं-जिन्हें ध्यान में रखकर ये किताब तैयार की गई है।
उमेश चतुर्वेदी

सोमवार, 21 अप्रैल 2008

क्या सचमुच बन पाएगा वॉयस ऑफ इंडिया !

त्रिवेणी मीडिया का बहुप्रतीक्षित चैनल लांच होने की तैयारी में है। वॉयस ऑफ इंडिया नाम से आ रहा ये चैनल भारत की आवाज कितना बन पाएगा- ये तो वक्त ही बताएगा। बहरहाल चैनल के लांचिंग की तैयारी के साथ ही त्रिवेणी ग्रुप एक साथ पांच और चैनल भी लांच करने जा रहा है। बंगला में वॉयस ऑफ बांग्ला और गुजराती में वॉयस ऑफ गुजराती के साथ ही वॉयस ऑफ यूपी,वॉयस ऑफ राजस्थान और वॉयस ऑफ मध्यप्रदेश के नाम से ये चैलन लांच किए जा रहे हैं। इसके साथ ही कंपनी की योजना अंग्रेजी में लाइफ स्टाइल और म्यूजिक के भी चैनल लांच करने की भी है। मुख्यत: रियल स्टेट और ऑटोमोबाइल की दुनिया में सक्रिय इस कंपनी की मीडिया टीम की अगुआई रामकृपाल सिंह कर रहे हैं। जो नवभारत टाइम्स के संपादक के अलावा आजतक चैनल के इनपुट संपादक भी रहे हैं। यहां आउटपुट की जिम्मेदारी किशोर कुमार मालवीय संभाल रहे हैं-जबकि इनपुट संपादक की जिम्मेदारी अनूप सिन्हा के पास है। किशोर कुमार मालवीय नवभारत टाइम्स के बाद जी न्यूज होते हुए नेपाल वन और इंडिया टीवी में काम कर चुके हैं। जबकि अनूप सिन्हा ऑर्गनाइजर के बाद जी न्यूज होते हुए आजतक में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।