गुरुवार, 8 मई 2008

मंत्री जी का इंतजार है ...

भारत सरकार के एक स्वायत्तशासी संस्थान में मंत्री जी के हस्तक्षेप को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित कर दिया। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक पद पर पी वेणुगोपाल की फिर से बहाली के बाद से उम्मीद बढ़ गई है कि इस संस्थान में मंत्री जी और सरकार की दखलंदाजी पर रोक लगेगी। लेकिन भारत सरकार के ही एक संस्थान के छात्रों का कोर्स खत्म हुए हफ्ते बीत गए। लेकिन दीक्षांत समारोह होना बाकी है। इसलिए- क्योंकि मंत्री जी को फुर्सत ही नहीं है कि वे छात्रों का डिप्लोमा बांट सकें।
भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के स्वायत संस्थान भारतीय जनसंचार संस्थान के पत्रकारिता और विज्ञापन के छात्रों का कोर्स बीते हफ्ता से भी ज्यादा हो गया है। तीस अप्रैल को सत्र भी खत्म हो गया। लेकिन छात्रों को डिप्लोमा नहीं दिया जा सका है। दरअसल सूचना और प्रसारण मंत्री प्रियरंजन दास मुंशी को तीस अप्रैल को ही डिप्लोमा देना था। लेकिन वक्त की कमी के चलते उन्होंने ये कार्यक्रम रद्द कर दिया। संस्थान भले ही स्वायत्तशासी हो- लेकिन संस्थान के अधिकारी स्वायत्त नहीं है। वे मंत्री जी की मिजाजपुर्सी का भला मौका क्यों चूकें। लिहाजा छात्र इंतजार कर रहे हैं।
मीडिया का प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान होने के बावजूद भारतीय जनसंचार संस्थान यानी आईआईएमसी के साथ सरकार का रवैया हमेशा टालू रहा है। कई महीने से निदेशक का पद खाली है। मंत्रालय के एक संयुक्त सचिव महोदय निदेशक की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। सूचना सेवा के अधिकारी जयदीप भटनागर रजिस्ट्रार बन गए हैं। संस्थान की गा़ड़ियां संस्थान की बजाय मंत्रालय के काम आ रही हैं। मंत्रालय के अफसर उन पर तफरी कर रहे हैं। एक प्रमुख विभाग के प्रोफेसर और अध्यक्ष संस्थान के उपकरणों का मनमाने ढंग से इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें हिंदी वालों को पढ़ाने से एलर्जी है और फिर भी वे वर्षों से इस संस्थान में जमे हुए हैं। संस्थान की अफसरशाही का ये हाल है कि संस्थान की पत्रिकाओं के लेखकों का पारिश्रमिक का भुगतान बिना मंत्रालय की अनुमति के नहीं कर पा रहे हैं।
क्या आप सोचते हैं कि आईआईटी और आईआईएम में ऐसा होता तो मीडिया चुप रहता। लेकिन मीडिया के शिशुओं को ट्रेनिंग देने वाले संस्थान के साथ ऐसा हो रहा है और मजे की बात ये है कि मीडिया चुप है। लाख टके का सवाल ये है कि आखिर क्यों चुप है मीडिया.. और यक्ष प्रश्न ये है कि कब टूटेगी ये चुप्पी और कब सुधरेगा भारत सरकार का ये प्रीमियर संस्थान।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

प्रिय उमेश जी ,
जानकारी के लिए शुक्रिया. आपने अच्छा मुद्दा उठाया है. मीडिया मंत्र के नए अंक में हम इसे शामिल करना चाहेंगे. आप हमारी पत्रिका में मीडिया विषय पर लिखने के लिए आमंत्रित हैं. आपका ब्लॉग मैं नियमित तौर पर देखता हूँ और मुझे काफी पसंद हैं. मीडिया से संबंधित यदि कोई सूचना या कोई मुद्दा आप हमारे साथ बांटना चाहते हों तो आपका स्वागत है.
आपका
पुष्कर पुष्प
संपादक
मीडिया मंत्र
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